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लॉकडाउन से रोजगार खतरे में!

अज़ीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी (APU) के विभाग ‘सेंटर फॉर सस्टेनेबल एंप्लॉयमेंट’ द्वारा जारी अध्ययन के प्रारंभिक परिणामों से संकेत मिलता है कि लॉकडाउन का कामकाजी लोगों की आजीविका पर बहुत बुरे प्रभाव पड़े हैं. हाल ही में सेंटर फॉर सस्टेनेबल एंप्लॉयमेंट ने सिविल सोसाइटी संगठनों के साथ मिलकर देश भर में यह सर्वेक्षण किया जा रहा है. आजीविका पर प्रभाव 13 अप्रैल, 2020 और 9 मई, 2020 के बीच टेलीफोनिक साक्षात्कार के माध्यम...

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मोदी जी, सुधार तो बाद की बात है, किसानों को कैश की जरूरत है

-द क्विंट, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने पांच किस्तों में हमें उन ‘वित्तीय प्रोत्साहन’ और सुधारों का ब्यौरा दिया जिसकी घोषणा 20 लाख करोड़ रुपये के पैकेज के तहत प्रधानमंत्री मोदी ने की थी. तीसरी किश्त में निर्मला ने कृषि क्षेत्र की बात की और ऐतिहासिक सुधारों का ऐलान किया जैसे कि: 1) आवश्यक वस्तु अधिनियम में बदलाव कर कृषि सामग्री में छूट देना; 2) कृषि उत्पादन विपणन समित अधिनियम यानी APMC...

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गैर सरकारी संगठनों द्वारा जारी रिपोर्ट: कोविड-19 लॉकडाउन ने ग्रामीण जनजीवन को किया बुरी तरह प्रभावित!

-विकासनवेश फाउंडेशन, सम्बोधी, प्रोफेशनल अस्सिटेंस फॉर डेवल्पमैंट एक्शन (PRADAN), BAIF डेवलपमेंट रिसर्च फाउंडेशन (BAIF), एक्शन फॉर सोशल एडवांसमेंट (ASA), SATHI-UP, आगा खान ग्रामीण सहायता कार्यक्रम (AKRSP), ग्रामीण सहारा और ट्रांसफॉर्मिंग रूरल इंडिया फाउंडेशन(TRIF) द्वारा जारी किया गया प्रेस नोट, दिनांक 13 मई, 2020 ग्रामीण क्षेत्र की गरीब आबादी पर COVID 19 और लॉकडाउन के प्रभाव का आकलन करने के लिए सबसे बड़े सर्वेक्षण को प्रमुख गैर सरकारी संगठनों द्वारा किया गया....

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कोरोना संकट में मज़दूरों को ग़ुलामों में बदलता पूंजीवाद

-न्यूजक्लिक,  जब 7 मई की रात को यह लेख लिखा जाने लगा कि किस तरह वर्तमान में कोरोना संकट के दौर में पूँजीवाद का घिनौना चेहरा बेनकाब हो रहा है और प्रवासी मज़दूर बंधुआ मज़दूरों में बदल रहें है तो लिखते लिखते घर लौटते हुए प्रवासी मजूरों की मृत्यु के आंकड़े खोजने के चक्कर में यह अधूरा रह गया। फिर सोचा कि लेख अगले दिन पूरा होगा परन्तु जब सुबह हुई...

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क्या दिहाड़ी मज़दूरों को बायोमिट्रिक प्रमाणीकरण के माध्यम से धोखा दिया गया है?

-न्यूजक्लिक, पिछले कुछ हफ़्तों में, दैनिक वेतन भोगियों की स्थिति विशेष रूप से निराशाजनक रही है। रोड स्कॉलर्ज़ ने छह राज्यों (छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, मध्य प्रदेश, ओडिशा और उत्तर प्रदेश) के ग्रामीण इलाकों में 100 से अधिक लोगों से टेलीफोन के माध्यम से दो चरणों (26-31 मार्च और 4-7 अप्रैल) का सर्वेक्षण किया था। इस सर्वेक्षण में पता चला कि ज्यादातर लोग इस बात से वाकिफ हैं कि कोविड-19 के...

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