-लल्लनटॉप, पिछले साल दिसंबर में जब झारखंड में सरकार बदली तो सीएम हेमंत सोरेन की अगुवाई वाली सरकार ने पहली कैबिनेट मीटिंग में एक बड़ा फैसला लिया. यह फैसला पत्थलगड़ी आंदोलन से जुड़ा था. पहली कैबिनेट में पत्थलगड़ी आंदोलन से जुड़े सभी केस वापस लेने का फैसला लिया गया. इस फैसले को एक साल होने वाले हैं लेकिन सरकार ने अब तक केस वापस लेने का अनुरोध कोर्ट को नहीं भेजा...
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हाथरस: अन्याय के ख़िलाफ़ हर मोर्चे पर लड़ रहे ये लोग कौन हैं?
-सत्यहिंदी, “जो हाथरस जा रहे हैं, उनके चेहरे देखिए। ये वही हैं जो नागरिकता के नए कानून (सीएए) का विरोध कर रहे थे।” यह सावधान करने के अंदाज में बताया जा रहा है। मानो पेशेवर अपराधियों से सावधान किया जा रहा हो। कहा गया कि इन सबके पोस्टर हमने चौराहों पर लगवाए थे। ये वही हैं जो हाथरस में उस दलित लड़की के परिवार के साथ हमदर्दी जताने पहुँच रहे हैं।...
More »अर्थातः राहत ऐसी होती है !
-इंडिया टूडे, मुंबई में दो साल तक काम करने के बाद, सितंबर 2019 में कीर्ति की मेहनत कामयाब हुई, जब उसे लंदन की मर्चेंट बैंकिंग फर्म में नौकरी मिल गई. वह लंदन को समझ पाती इससे पहले कोविड आ गया. नौकरी खतरे में थी. लेकिन अप्रैल में ही उसकी कंपनी सरकार की जॉब रिटेंशन स्कीम (नौकरी बचाओ सब्सिडी) में शामिल हो गई. पगार कुछ कटी लेकिन नौकरी बच गई. बहुत नुक्सान...
More »हाथरस केस: एफएसएल रिपोर्ट की कोई वैल्यू नहीं, 11 दिन बाद लिए गए थे नमूने- अलीगढ़ सीएमओ
-आउटलुक, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के मुख्य चिकिस्ता अधिकारी (सीएमओ) का कहना है कि एफएसएल रिपोर्ट की कोई वैल्यू नहीं है। जबकि इससे पहले यूपी पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दावा किया था कि 19 वर्षीय हाथरस की महिला के साथ बलात्कार नहीं किया गया क्योंकि उसकी फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (एफएसएल) की रिपोर्ट में एकत्र नमूनों में शुक्राणु का संकेत नहीं था। इंडियन एक्सप्रेस के...
More »लॉकडाउन से बेरोज़गार एमबीए, इंजीनियर मिट्टी ढो रहे हैं मनरेगा में
-सत्यहिंदी, कोरोना लॉकडाउन की वजह से देश में करोड़ों लोगों की रोज-रोटी छिनी, इसमें असंगठित क्षेत्र के मजदूरों की तादाद सबसे ज़्यादा है। पर ऐसा नहीं है कि इसकी मार सिर्फ़ उन्हीं पर पड़ी है। पढ़े-लिखे, एअर कंडीशन्ड ऑफ़िसों में काम करने वाले लोगों की भी नौकरी गई है। इसमे वे लोग भी शामिल हैं जो इंजीनियर हैं, एमबीए हैं, जिन्होंने संघर्ष कर गाँव की ग़रीबी से निजात पाई और शहरों...
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