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लग मटका नहीं, कान में पहले से संक्रमण’: सवाल जो जालोर टीचर पर दलित परिवार के आरोपों से मेल नहीं खाते

दिप्रिंट, 17अगस्त  राजस्थान के जालोर जिले के नौ साल के दलित लड़के की ‘उच्च जाति’ के स्कूल प्रिंसिपल की कथित तौर पर उनके मटके से पानी पीने के लिए पीटने के बाद मौत हो गई. इसके कुछ समय बाद ही इन आरोपों पर कि जातिगत भेदभाव की वजह से ये दुखद घटना घटी है, सवाल उठाए जा रहे हैं और इन्हें लेकर संदेह व्यक्त किया जा रहा है. यह घटना कथित तौर...

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गन्ने की 72 करोड़ बकाया पेमेंट के लिए सड़कों पर उतरे पंजाब के दोआबे के किसान

गांव सवेरा, 13 अगस्त पंजाब के जालंधर-लुधियाना नेशनल हाइवे पर गन्ने की बकाया पेमेंट न मिलने के कारण पिछले पांच दिन से आंदोलित किसानों ने हाइवे को दोनों तरफ से जाम कर दिया है. किसानों ने एक चीनी मिल द्वारा अपने बकाया 72 करोड़ रुपये के भुगतान में देरी का विरोध करते हुए 8 अगस्त को जालंधर-लुधियाना नेशनल हाइवे पर आंदोलन शुरू किया था. किसानों ने भारतीय किसान यूनियन (दोआबा) के बैनर...

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पानी और साफ-सफाई

खास बात - भारत में खुले में शौच करने वाले लोगों की संख्या 626 मिलियन है। यह संख्या 18 देशों में खुले में शौच करने वाले लोगों की संयुक्त संख्या से ज्यादा है।# -ग्रामीण इलाकों में केवल २१ फीसदी आबादी के घरों में शौचालय की व्यवस्था है।* -पेयजल आपूर्ति विभाग के आंकड़ों के हिसाब से कुल १,५०,७३४९ ग्रामीण मानव बस्तियों में से केवल ७४ फीसदी में पूरी तरह और १४ फीसदी में...

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लक्षद्वीप के स्कूलों में मध्याह्न भोजन में छात्रों को पहले की तरह मांस उत्पाद परोसने का आदेश

न्यूज़ क्लिक,25 जुलाई उच्चतम न्यायालय ने डेयरी फार्म को बंद करने और स्कूली बच्चों के मध्याह्न भोजन से मांस उत्पादों को हटाने के लक्षद्वीप प्रशासन के फैसले को चुनौती देने वाली एक याचिका पर सुनवाई करते हुए केरल उच्च न्यायालय के आदेश को बरकरार रखने का निर्देश दिया था। केंद्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप के प्रशासन ने स्कूल अधिकारियों को उच्चतम न्यायालय के हालिया आदेश पर अमल करने का निर्देश दिया है, जिसके...

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कूड़ा बीनने से अमेज़ॉन तक: ट्रांसजेंडर संध्या की कहानी

न्यूज़लॉन्ड्री,24 जुलाई  21 वर्षीय संध्या का जन्म बिहार के नालंदा जिले के एक छोटे से गांव में हुआ था. उनकी परवरिश भी वहीं हुई. अन्य बच्चों की तरह ही पले-बढ़े ‘संदीप’ को 10वीं कक्षा में अपनी असली पहचान का अहसास हुआ, क्योंकि वे खुद को संध्या के रूप में पहचानने लगे थे. उनके लंबे बाल और हाथों के बढ़े नाखूनों को देखकर स्कूल में बच्चे और अध्यापक उन्हें अलग-अलग नामों से...

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