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आखिर क्यों जल उठा बेंगलुरु-- आर सुकुमार

वह 2000 के दशक का शुरुआती वर्ष था। इंफोसिस लिमिटेड ने बेंगलुरु के इलेक्ट्रॉनिक्स सिटी के अपने कैंपस में एक शानदार विंग बनाई ही थी, तब मैं कंपनी के तत्कालीन चेयरमैन एन आर नारायण मूर्ति से मिलने गया था। हम जब कैंपस घूम रहे थे, और कारोबार व लोगों और लगभग हरेक इमारत के स्वागत कक्ष में रखे रंग-बिरंगे चमकीले छातों के बारे में बातें कर रहे थे, तब उन्होंने...

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राज्य सरकार और निजी क्षेत्र में 80 फीसदी मिले आरक्षण : लालू

पटना : राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद ने 10, सर्कुलर रोड स्थित अपने आवास पर आयाेेजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि राज्य के लोगों को राज्य सरकार और निजी क्षेत्र की नौकरी में 80 प्रतिशत आरक्षण मिले. आंध्रप्रदेश, झारखंड, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, तेलंगाना आदि राज्यों में यह प्रावधान पहले से लागू है. ऐसा नहीं होने से बिहार के लोगों को बिहार में ही नौकरी नहीं मिलती है और बाहर जाने पर...

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आर्थिक विकास के लिए नीतियां जरूरी

वैश्विक होती अर्थव्यवस्था के दौर में समान विकास की अवधारणा मजबूत हो रही है. नीति-निर्माता से लेकर आर्थिक विशेषज्ञ इस बात पर एकमत हैं कि विकास दर जरूरी है, लेकिन बिना आर्थिक असमानता को दूर किये विकास अधूरा है. इस व्यापक सोच के साथ रांची में ‘इंटरनेशनल काॅन्फ्रेस ऑन इन्क्लूसिव एंड सस्टेनेबल डेवलपमेंट इन झारखंड: चैलेंज एंड अपॉर्चुनिटी' विषय पर तीन दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया जा रहा है. पूर्वी भारत...

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आत्‍महत्‍या करने वालों की जाति और धर्म के आधार पर गणना, सामने आये ये आंकड़े

गृह मंत्रालय के अनुसार, एक हिन्‍दू के मुकाबले किसी ईसाई के आत्‍महत्‍या करने की संभावना डेढ़ गुना ज्‍यादा है। जबकि देश की विभिन्‍न जातियों में से आदिवासी और दलित सबसे ज्‍यादा आत्‍महत्‍या करते हैं। एक आरटीआई के जवाब में यह खुलासा हुआ है कि गृह मंत्रालय ने आत्‍महत्‍याओं की जाति और धर्म के आधार पर अलग गणना कराई थी। 2014 में नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्‍यूरो (NCRB) ने पहली बार आत्‍महत्‍याओं का...

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आरक्षण की आग में झुलसता समाज- नीरजा चौधरी

कृषक जातियों में बेचैनी तेजी से बढ़ रही है, क्योंकि खेती-किसानी अब मुनाफे का काम नहीं रही। उनके बच्चों के पास तकनीकी तालीम भी नहीं है, जिससे वे नए जमाने की नौकरियां पा सकें। ऐसे में राजनीतिक दांव-पेच उन्हें और अधीर कर रहे हैं। जाति-युद्ध की तरफ बढ़ती आग को रोकने के लिए फौरन कदम उठाए जाने चाहिए। हाल के घटनाक्रमों पर पेश है वरिष्ठ पत्रकार नीरजा चौधरी का विश्लेषण पिछले...

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