विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) की ताजा रिपोर्ट बताती है कि 2016 के अंत में पृथ्वी के वातावरण में कार्बन डाई-ऑक्साइड के अनुपात में रिकॉर्ड वृद्धि हुई। 2015 में यह वृद्धि पिछले दस वर्षों के औसत वृद्धि अुनपात से लगभग 50 फीसदी ज्यादा दर्ज हुई थी। एक अन्य रिपोर्ट संयुक्त राष्ट्र की भी है, जो और भयावह निष्कर्ष पर पहुंचती है। इस रिपोर्ट के अनुसार, साल 2016 में...
More »SEARCH RESULT
विकास बनाम जातिवाद का द्वंद्व - विजय संघवी
गुजरात में चुनावी रस्साकशी चरम पर है। इस राज्य में अगर कांग्रेस की रणनीति पर गौर करें तो लगता है कि उसने सत्ता में वापसी की अपनी तमाम उम्मीदें जातिगत समीकरणों पर टिका दी हैं। गौरतलब है कि उसने तकरीबन चार दशक पूर्व 1980 में भी इस राज्य में जातिगत समीकरणों को साधते हुए पूर्ण बहुमत हासिल किया था। लेकिन कांग्रेस यह भूल रही है कि तब से अब तक...
More »विषमता की बढ़ती खाई-- जयराम शुक्ल
मुट्ठी भर गोबरी का अन्न लेकर लोकसभा पहुंचे डॉ राममनोहर लोहिया ने तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरूसे कहा- लीजिए, आप भी खाइए इसे, आपके देश की जनता यही खा रही है। पिछले दिनों जब विश्व के भुखमरी सूचकांक (हंगर इंडेक्स) में 119 देशों में भारत के सौवें स्थान पर होने के बारे में पढ़ा तो 1963 का नेहरू-लोहिया का वह प्रसंग जीवंत हो गया, जिसमें लोहिया ने तीन आने बनाम पंद्रह...
More »अर्थव्यवस्था को संजीवनी का मंत्र - डॉ. भरत झुनझुनवाला
सरकार की पुरजोर कोशिश है कि भारत वैश्विक विनिर्माण का गढ़ बन जाए। इसके लिए 'मेक इन इंडिया के तहत बहुराष्ट्रीय कंपनियों को देश में फैक्ट्रियां लगाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है ताकि रोजगार के अवसर सृजित हों और लोगों की आमदनी बढ़े। इस दिशा में सरकार ने दो महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। पहला कदम वित्तीय घाटे पर नियंत्रण का है। सरकार द्वारा आय से अधिक खर्च करने...
More »अर्थव्यवस्था पर मुस्तैदी जरूरी-- डा. अवनीन्द्र ठाकुर
पिछले कुछ समय से भारतीय अर्थव्यवस्था के संदर्भ में आये कई आंकड़ों ने वर्तमान सरकार की कई नीतियों की सफलता पर प्रश्नचिह्न खड़ा कर दिया है. उदाहरण के तौर पर देश की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर में कमी, सरकारी एवं निजी क्षेत्र में रोजगार की कमी, औद्योगिक विकास की चिंताजनक स्थिति इत्यादि कुछ आंकड़े हैं, जो सरकार के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है. इस परिप्रेक्ष्य में...
More »