नई दिल्ली। जानकारी के अनुसार विदेशों में काला धन छिपाने वालों में नेताओं के अलावा बड़े धन्नासेठ और कर अपवंचक शामिल हैं। विदेशी ठिकानों-बैंकों में निवेश और संदिग्ध लेनदेन से जुड़े अपने तरह के सबसे बड़े अंतरराष्ट्रीय खुलासे में खोजी अखबारनवीसों के एक समूह ने इस बात की अहम जानकारी जुटाई है कि भारत समेत दुनिया की एक लाख से ज्यादा कंपनियों, न्यासों, और निजी लोगों ने 170 देशों में...
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आधार कार्ड यानी धोखे का आधार - सचिन कुमार जैन
आधार यानी विशेष पहचान के आधार को समझिए। लोगों को पहचान देने के नाम शुरू हुआ प्रयास महज 3 साल में ही लोगों के लिए विकास से बहिष्कार और योजनाओं से बेदखली का कारण बनने लगा। इसका मकसद सरकार के गरीबों पर किए जाने वाले खर्च को कम करना बन गया है और दूसरा मकसद है समुदाय को नकद धन देना ताकि वे बाज़ार को फायदे रोशन करें। जनवरी 2009...
More »भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष का कठिन दौर-सुरेंद्र किशोर
जनसत्ता 22 अक्टुबर, 2012: भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों पर भी देश का लगभग पूरा राजनीतिक वर्ग आरोपितों का इन दिनों अतार्किक ढंग से बचाव करता नजर आ रहा है। कोई दल या नेता अपनी कमी या गलती मानने को आज तैयार नहीं है। सुधरने का तो कहीं से दूर-दूर तक कोई संकेत नहीं। इससे भी, भ्रष्टाचार की समस्या की गंभीरता का पता चलता है। देश के अधिकतर नेताओं के ताजा रुख...
More »आखिर कैसे बचेगी गरीबों की जान
ईश्वर न करे किसी गरीब को सजर्री कराने की नौबत आये. महंगाई चिकित्सा के इस क्षेत्र में भी नंगा नाच कर रही है. हाल के दिनों में सजर्री के क्षेत्र में दो से 12 हजार रुपये की बढ़ोतरी दर्ज की गयी है. यह वृद्धि सामान्य अस्पतालों की है. कॉरपोरेट अस्पतालों तक तो गरीबों की पहुंच ही नहीं है. शहर के एक प्रख्यात नर्सिग होम में दो साल पहले जहां हर्निया का ऑपरेशन...
More »खुदरा कारोबार के मिथक- सुभाष गताडे
जनसत्ता 4 अक्टुबर, 2012: भारत सरकार का दावा है कि खुदरा कारोबार में विदेशी पूंजीनिवेश की राह खोलने से छह सौ अरब डॉलर तक पूंजी यहां पहुंचेगी। दूसरी तरफ के आलोचक इस तरह का अनुमान पेश कर रहे हैं कि वालमार्ट और उस जैसीकंपनियों के आने से कितने लाख लोग बेरोजगार होंगे, आदि। लगता है दोनों पक्षों की तरफ से छवि की लड़ाई चल रही है। कुल खुदरा कारोबार में आज...
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