कुछ महीने पहले योजना आयोग की गरीबी रेखा पर काफी चर्चा हुई हैं. उच्चतम न्यायलय में दायर हलफनामे में योजना आयोग ने कहा कि 2011 की सरकार की गरीबी रेखा- ग्रामीण क्षेत्रों में 26 रुपए और शहरी क्षेत्रों में 32 रुपए- जीवनयापन यानी खाना, शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए पर्याप्त है. आज से पहले किसी भी सरकार ने यह दावा नहीं किया कि गरीबी रेखा जीवन बिताने के लिए पर्याप्त...
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नहीं की जाएगी किसानों से जबरन वसूली
लखनऊ। सपा सरकार ने किसानों से कर्ज वसूली के लिए उनकी भूमि की नीलामी तथा अगले आदेश तक जबरन सरकारी वसूली का रिकवरी सर्टिफिकेट भी जारी करने पर रोक लगा दी है। सरकार का यह कदम सपा के चुनाव घोषणा पत्र में किसानों का 50 हजार तक का कर्ज माफ किए जाने का वायदे को पूरा करने के पहले उठाया गया है। सरकार ने भूख से होने वाली मौतों को लेकर भी...
More »विश्व बैंक या अमेरिका बैंक? : केविन रैफर्टी
जो हुआ, वह अप्रत्याशित नहीं था। चिकित्सक, मानवविज्ञानी और डार्टमाउथ कॉलेज के संचालक डॉ जिम योंग किम को रॉबर्ट जोएलिक के उत्तराधिकारी के रूप में विश्व बैंक का नया अध्यक्ष चुन लिया गया। लेकिन क्या इस पद के लिए किम का चयन उचित था? अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने किम को अध्यक्ष बनवाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया, लेकिन क्या किम स्वयं ओबामा के ‘येस वी कैन’ के परिवर्तनकामी आदर्शो...
More »बढ़ती बेरोजगारी के बीच-गिरीश मिश्र
नौजवानों के लिए इससे बड़ी त्रासदी क्या हो सकती है कि जब वह शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार होकर उत्पादन के क्षेत्र में उतरने को तत्पर होता है, तब उससे कह दिया जाता है कि उसकी आवश्यकता नहीं है। ऐसे में उसका खुद पर गुस्सा लाजिमी है कि उसने अपने परिवार के संसाधनों का इस्तेमाल खुद को राष्ट्रीय उत्पादन में योगदान करने लायक बनाने के लिए व्यर्थ किया। मां-बाप...
More »बढ़ती बेरोजगारी के बीच- गिरीश मिश्र
नौजवानों के लिए इससे बड़ी त्रासदी क्या हो सकती है कि जब वह शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार होकर उत्पादन के क्षेत्र में उतरने को तत्पर होता है, तब उससे कह दिया जाता है कि उसकी आवश्यकता नहीं है। ऐसे में उसका खुद पर गुस्सा लाजिमी है कि उसने अपने परिवार के संसाधनों का इस्तेमाल खुद को राष्ट्रीय उत्पादन में योगदान करने लायक बनाने के लिए व्यर्थ किया। मां-बाप...
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