जनसत्ता 26 अगस्त, 2014 : आदिवासी समाज के बारे में इधर हमारी दृष्टि बदली है। बावजूद इसके आदिवासी बहुल इलाकों के बाहर आदिवासी समाज के बारे में अब भी एक कौतूहल का भाव रहता है। इस परिप्रेक्ष्य में यह जानना दिलचस्प होगा कि गैर-आदिवासी समाज आज भी आदिवासी समाज को किस रूप में देखता है। राजनेताओं की नजर में आदिवासी समाज की अहमियत क्या है, इसे हम कुछ उदाहरणों से...
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कम नहीं हो पा रहा कुपोषण- संदीप कुमार
सरकार का दावा है कि लोगों में कुपोषण घटा है. नेशनल सैंपल सर्वे आर्गनाइजेशन (एनएसएसओ) की 66वीं अध्ययन रिपोर्ट में बताया गया है कि दो तिहाई लोग पोषण के सामान्य मानक से कम खुराक ले पा रहे हैं. योजना आयोग का मानना है कि हर ग्रामीण को न्यूनतम 2400 किलो कैलोरी व हर शहरी को न्यूनतम 2100 किलो कैलोरी का आहार मिलना चाहिए. जमीनी हकीकत क्या है, यह भी सरकारी...
More »राज्य में गुड गवर्नेंस है तो दिखना भी चाहिए, लोगों ने बताए कई किस्से
जयपुर. गुड गवर्नेंस है तो वह धरातल पर दिखनी भी चाहिए। यदि लीज मनी जमा कराने के 40 साल बाद भी जमीन का मालिकाना हक नहीं मिलता, प्रसव कराने के लिए पानी साथ लेकर जाना पड़ता है और ईमानदार कर्मचारी को दफ्तर में पोस्टिंग नहीं मिलती तो ऐसे में गुड गवर्नेंस पर संदेह होता है। सरकार के संभागीय स्तरीय दौरों को लेकर पिछले दो दिन से चल रही "भास्कर ऑडिट'...
More »भूख से दम तोड़ गई एक माह की बच्ची
भोपाल।भूख से तड़पकर एक माह की बच्ची की मौत हो गई। यह दिल दहला देने वाली जानकारी बच्ची के शॉर्ट पोस्टमार्टम रिपोर्ट में सामने आई है। उसका पोस्टमार्टम गांधी मेडिकल कॉलेज में हुआ था। रातीबड़ थाना पुलिस पूरे मामले की जांच कर रही है। भूख से जिस बच्ची की मौत हुई है उसके परिजनों ने उसे जन्म के बाद स्वीकारने से इनकार कर दिया था। बच्ची की शार्ट पोस्टमार्टम रिपोर्ट में...
More »इरोम शर्मिला रिहा, अनशन जारी रखने की प्रतिबद्धता जताई
इंफल। पिछले 14 साल से अनशन कर रही मानवाधिकार कार्यकर्ता इरोम शर्मिला को बुधवार को जब अस्थायी हिरासत से रिहा किया गया तो वे आंसू भरी आंखों के साथ बाहर निकलीं और उन्होंने सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून को हटाने के लिए अपनी लड़ाई जारी रखने की प्रतिबद्धता जताई। शर्मिला पोरोपट में सरकारी अस्पताल के उस कमरे से बाहर निकलीं जिसे हिरासत में तब्दील कर दिया गया था। बेहद कमजोर लग...
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