जयपुर.राज्य में अनुदानित स्कूल और कॉलेजों के शिक्षकों का सरकारी नौकरी में आने का रास्ता साफ हो गया है। राज्यपाल की मंजूरी के बाद राज्य सरकार ने इनके सेवा नियम जारी कर दिए हैं। इन नियमों के तहत ऐसे शिक्षकों को ग्रामीण इलाकों में नियुक्ति दी जाएगी। उन्हें रिटायरमेंट तक ग्रामीण इलाकों में ही रहना होगा। कार्मिक विभाग ने मंगलवार को राजस्थान स्वेच्छया ग्रामीण शिक्षा सेवा नियमों में यह प्रावधान किया है।...
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क्या सोचा क्या पाया
जिन सपनों को लेकर एक दशक पहले उत्तराखंड राज्य का गठन हुआ था उनमें से कितने सपने आंखों से उतरकर जमीन पर चल पाए हैं? नौ नवंबर को उत्तराखंड राज्य दस साल का हो गया. दस साल की उम्र किसी राज्य का भविष्य तय करने के लिए काफी नहीं होती, पर ‘पूत के पांव पालने में ही दिख जाते हैं’ वाली कहावत के हिसाब से देखा जाए तो उस भविष्य का अंदाजा लगाने के...
More »जूनियर डॉक्टरों को जबरन गांव नहीं भेज सकेगी सरकार
भोपाल. राज्य सरकार फिलहाल सरकारी मेडिकल कॉलेजों से डिग्री लेने के बाद गांव न जाने वाले डॉक्टरों का रजिस्ट्रेशन निरस्त नहीं कर सकेगी। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में मेडिकल कॉलेजों के बॉन्डेड यूजी और पीजी डॉक्टरों को दो साल की नौकरी गांव में करने के मामले में याचिका लगाई थी।जिसमें गांव में ड्यूटी न करने पर डॉक्टरों द्वारा बॉन्ड की शर्तो के मुताबिक सरकार ने जमा की जाने वाली निश्चित राशि लेने...
More »प्रदेश में डॉक्टरों का टोटा
चड़ीगढ़. लोग सरकारी नौकरियां पाने के लिए मारे फिर रहे हैं और डॉक्टर हैं कि प्रदेश में सरकारी नौकरी करने के लिए तैयार नहीं हैं। राज्य में स्वास्थ्य विभाग को सरकारी नौकरी करने के चाहवान डॉक्टर ढूंढे नहीं मिल रहे। विभाग का कहना है कि डॉक्टरों की कमी देशभर में ही है। हालात ऐसे हैं कि राज्य में जनता को स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने के लिए सरकार दरवाजे खोले खड़ी...
More »आत्मसम्मान का मजबूत होता जज्बा-- योगेन्द्र यादव
-सफ़ाई कर्मचारी आंदोलन द्वारा देश की राजधानी में आयोजित सम्मेलन अपने आप में एक ऐतिहासिक घड़ी थी. -सदियों से मैला उठाने वाला समाज अब टोकरी नहीं आवाज उठाना चाहता है, हाथ में झाड़ू नहीं किताब लेना चाहता है. -सरकार के झूठे वादों पर उम्मीद बांधने की बजाय अब इस समाज ने खुद मैलाप्रथा को खत्म करने की ठान ली है. आज भी कई लाख लोग अपने सर पर मैला उठाने को अभिशप्त हैं....
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