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गरीबी से जंग के भोथरे हथियार- रीतिका खेड़ा

पिछले दिनों न्यूयॉर्क टाइम्स में (अमर उजाला में भी, 24 जुलाई) प्रकाशित अपने लेख में सरकार के आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन और अर्थशास्त्री सिद्धार्थ जॉर्ज ने नकद हस्तांतरण को लेकर कुछ ज्यादा ही सरल और आशावादी विश्लेषण पेश किया। मगर नकद हस्तांतरण की मौजूदा व्यवस्‍था में इतनी त्रुटियां है, जिन्हें दूर किए बगैर खाद्य हस्तांतरण को नकद व्यवस्‍था में बदलने का सपना देखना बड़ी भूल होगी। जबकि 'जेएएम' (जैम-जनधन, आधार,...

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वर्षा के पैटर्न में गंभीर परिवर्तन- भरत झुनझुनवाला

इंद्रदेव देश के साथ आंख मिचौली खेल रहे हैं. जून में वर्षा सामान्य रही. इसके बाद जुलाई के पहले पखवाड़े में वर्षा बहुत कम रही. सूखे की संभावना बढ़ती जा रही थी. लेकिन जुलाई के दूसरे पखवाड़े में देश के तमाम क्षेत्रों में अच्छी वर्षा होने से स्थिति पुन: सामान्य हो गयी है.  वर्तमान में वर्षा सामान्य से मात्र दो प्रतिशत कम है. राजस्थान के दक्षिणी इलाकों में भारी वर्षा...

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भारत में गरीबी के खिलाफ लड़ाई- सिद्धार्थ जॉर्ज एवं अरविंद सुब्रमण्यन

बच्चों को स्कूल भेजने और उनके टीकाकरण की शर्त पर गरीब परिवारों को नकद हस्तांतरण योजना ने भारत में गरीबी घटाने और मानव स्वास्थ्य में सुधार का प्रभावी रास्ता दिखाया है। लैटिन अमेरिका को सशर्त नकद हस्तांतरण योजना का जन्मदाता माना जाता है;1990 के दशक के उत्तरार्ध में मैक्सिको में इसकी शुरुआत हुई और अगले एक दशक में यह पूरे ब्राजील में फैल गई। भारत में गरीबी दूर करने में...

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देश के हृदय को बचाने की पहल- विनीत नारायण

विगत जनवरी में शहरी विकास मंत्री वेंकैया नायडू ने प्रधानमंत्री की चहेती योजना ‘हृदय' की शुरुआत की। इस योजना का लक्ष्य देश के पुरातन शहरों को सजा-संवारकर दुनिया के आगे प्रस्तुत करना है, जिससे भारत की आत्मा यानी यहां की सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण हो सके। इसीलिए अंग्रेजी में जो नाम रखा गया है, उसके प्रथम अक्षरों को मिलाकर ‘हृदय' शब्द बनता है। योजना का उद्देश्य प्रशंसनीय है, क्योंकि जागरूकता के...

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टीवी ट्रायल : 'इंस्टैंट इंसाफ" के खतरे - कंदर्प

क्या आपने 'लिंचिंग" के बारे में सुना है? जब कोई भड़काई गई भीड़ किसी व्यक्ति को बिना कोई मुकदमा चलाए तुरंत सजा दे देती है। जैसे दीमापुर (नागालैंड) में 5 मार्च के दिन एक ऐसी ही गुस्साई भीड़ ने जेल तोड़कर रेप के आरोपी को निकाला और उसे मार-मार के मौत के घाट उतार दिया। क्या लगता है ऐसी घटनाओं को पढ़कर या सुनकर? कि ये बर्बरताएं हैं, कि हम अभी...

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