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बहुत दूर दिखती है मंजिल, सतत विकास सूचकांक में भारत 110वें स्थान पर

सतत विकास वैश्विक सामाजिक प्रगति रिपोर्ट में भारत के 98वें स्थान (133 देशों में) पर होने की निराशाजनक खबर के बाद अब चिंताजनक सूचना यह आयी है कि सतत विकास सूचकांक में हमारा देश 110वें (149 देशों में) पायदान पर खड़ा है. वर्ष 2030 तक गरीबी, भूख, अशिक्षा से मुक्ति के साथ बेहतर पर्यावरण का वैश्विक लक्ष्य पाने के हमारे प्रयासों पर यह एक गंभीर टिप्पणी है. इस रिपोर्ट की मुख्य...

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PM जन धन योजना के खातों के जरिए सफेद हो रहा काला धन!

एक दैनिक मजदूर के खाली पड़े बैंक अकांउट के इस्‍तेमाल 1 करोड़ रुपए तक के धन को ट्रांसफर करने के लिए किया जा रहा था। आयकर अधिकारियों की अचानक इस खाते पर नजर पड़ी तो वे चौंक गए। चिंता की बात यह है कि मामले का पता तब चला जब आयकर अधिकारियों ने पंजाब के मजदूर को नोटिस भेजा, जिसे इस लेन-देन के बारे में कोई खबर ही नहीं है।...

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दलित की शादी में खाना खाया तो गांव से कर दिया बहिष्कृत

बालाघाट। ब्यूरो। वारासिवनी की ग्राम पंचायत नांदगांव में एक समाज विशेष के लोगों द्वारा समिति बनाकर फरमान सुनाते हुए एससी समाज के लोगों से किसी भी प्रकार का संबंध रखने वालों को गांव से बहिष्कृत किया जा रहा है। पहले सिर्फ एससी समाज के लोग बहिष्कृत होते थे लेकिन अब अन्य समाज के लोगों को भी बहिष्कृत किया जा रहा है। बहिष्कृत होने पर दो ग्रामीणों ने अजाक्स थाने में...

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सामाजिक न्याय का अधूरा सपना-- प्रमोद मीणा

नौवें दशक के बाद से भारतीय राजनीति में दलित दलों और दलित नेताओं की स्वतंत्र पहचान बनी है और उत्तर प्रदेश जैसे कुछ राज्यों में उन्हें सत्ता में हिस्सेदारी का सीधा मौका भी मिला है। पर अब इस प्रश्न पर विचार करने की जरूरत है कि इस पूरे राजनीतिक परिदृश्य को हम किस तरह देख सकते हैं। क्या इसे स्वातंत्र्योत्तर भारत में लोकतंत्र की एक महान उपलब्धि के रूप में...

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बिछड़े सब बारी-बारी, खेती-बारी-- अनिल रघुराज

आखिर कोई कितना इंतजार करता! देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने कहा था, ‘सब कुछ इंतजार कर सकता है, लेकिन कृषि नहीं.' मगर, आजादी से लेकर कृषि को इंतजार करते-करते अब सात दशक होने जा रहे हैं. वह अब भी भगवान भरोसे है. इंद्रदेव नाराज, तो सूखे की त्रासदी और खुश तो बहुत बड़े इलाके में बाढ़ की तबाही. जिनके बरदाश्त करने की हद चुक जाती है, वे इस...

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