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बड़ी तबाही ला सकता है जरा सा बदलाव

लंदन। पर्यावरण में 'छोटा' सा परिवर्तन भी ज्वालामुखी विस्फोट, भूकंप व भूस्खलन जैसी भूगर्भीय घटनाओं को और 'भयानक' बना सकता है। वैज्ञानिकों ने सोमवार को इस बाबत चेतावनी जारी की है। रायल सोसाइटी द्वारा प्रकाशित अखबार में शोधकर्ताओं ने चेताया है कि बर्फ पिघलना, समुद्री स्तर बढ़ना और भयानक तूफानों में इजाफे का कारण तापमान में लगातार हो रही बढ़ोतरी है। ये सभी कारक धरती के आवरण पर बुरा असर डाल सकते हैं। यहां तक...

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शहरी सरहद से निकल गाव में जमाया पाव

वाराणसी। दस लाख का सालाना पैकेज और उच्च पद। युवा मन इस लुभावने प्रस्ताव पर मचल सकता था लेकिन अपना देश, अपनी बिरासत किसी से कम थोड़े होती है। सोच में धवलता हो, नीयत में ईमानदारी हो और लगन कूट-कूटकर भरी पड़ी हो तो जाने कितने ऐसे पैकेजों से आगे निकला जा सकता है। धवलप्रकाश की यही सोच उन्हें अपनी माटी से जोड़े रही और सफलता के सोपान हासिल करती रही। कोई चौबीस साल...

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चौ. रणबीर सिंह के प्रयासों से रखी गई हरित-क्रांति : प्रणब

रोहतक,  जागरण संवाददाता : केंद्रीय वित्ता मंत्री प्रणब  मुखर्जी ने कहा कि स्वतंत्रता सेनानी चौ. रणबीर  सिंह की पहल के चलते भाखड़ा  बांध परियोजना सिरे चढ़ी, जो हरित क्रांति लाने में मील का पत्थर साबित हुई। उन्होंने चौ. रणबीर सिंह सामाजिक एवं आर्थिक परिवर्तन संस्थान 'स्वराज सदन' की आधारशिला रखी। बृहस्पतिवार को सुबह करीब 11  बजे केंद्रीय वित्ता मंत्री प्रणब  मुखर्जी एमडी  यूनिवर्सिटी परिसर पहुंचे। आडिटोरियम में चौ. रणबीर सिंह शोध पीठ के तत्वावधान में आयोजित प्रथम स्मृति...

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बीटी बैंगन के खिलाफ खड़े हुए शिक्षक

चंडीगढ़. केंद्र सरकार द्वारा बीटी बैंगन को मंजूरी दिए जाने के विरोध में किसान ही नहीं बल्कि शिक्षक, विद्यार्थी और दूसरे वर्ग भी आवाज उठाने लगे हैं। केंद्रीय पर्यावरण व वन मंत्री जयराम रमेश के चंडीगढ़ दौरे से एक दिन पहले वीरवार को पंजाब यूनिवर्सिटी में शिक्षकों और विद्यार्थियों ने बीटी बैंगन की शवयात्रा निकाली। केंद्र सरकार की जेनेटिक इंजीनियरिंग एंड अप्रूवल कमेटी (जीईएसी) द्वारा बैंगन में बीटी बैक्टीरिया के इस्तेमाल को मंजूरी दिए जाने के...

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कहीं ये छोटे हिमयुग की शुरुआत तो नहीं

वाशिंगटन। संयुक्त राष्ट्र के एक जलवायु विशेषज्ञ ने अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों में अंटाकर्टिका जैसी ठंड पड़ने पर चेतावनी दी है। उनका कहना है कि यह एक छोटे हिमयुग की शुरुआत हो सकती है। आने वाला समय में सर्दी और बेदर्द होगी। साथ ही मैदानी इलाकों में भी हिमपात का अनुपात बढ़ेगा। जर्मनी की केल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और संयुक्त राष्ट्र की पर्यावरण परिवर्तन की रिपोर्ट के लेखक मोजिब लातिफ अगले 30 साल...

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