दो मिनट में बनकर तैयार हो जाने वाली मैगी ने सारे भारत को हिला दिया है। इसे यूं भी कहा जा सकता है कि इस बार तो स्वाद पूरी तरह बेमजा हो गया। नेस्ले के नूडल्स घर-घर ही नहीं, अब तो गांवों तक अपनी पहुंच बना चुके थे। वे लोग जो चाहते हैं कि सारी दुनिया में एक भाषा, एक पहनावा, एक खाना ही चले, मैगी जैसे प्रचलन को अपनी...
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किसान को उसका वेतन आयोग कब- योगेन्द्र यादव
किसान हमें ऐसे याद आता है, जैसे कोई दूर का गरीब रिश्तेदार. हम जानते हैं वह कहीं है, लेकिन मुलाकात कभी खुशी-गमी के मौके पर ही होती है. अंकल जी की मौत का रस्मी अफसोस तो कर लेते हैं, लेकिन यह नहीं पूछते कि तुम्हारी जिंदगी कैसे चल रही है. सवाल नहीं पूछते, चूंकि हम उत्तर नहीं सुनना चाहते. शहरों में रहनेवाले भारत की किसान से मुलाकात किसी बुरी खबर...
More »स्कूली शिक्षा में आएगा नया दौर? - डॉ. मुरलीधर चांदनीवाला
स्कूलों के परीक्षा परिणाम आ चुके हैं। अच्छा परिणाम देने वाले स्कूलों के आकर्षक विज्ञापनों से अखबार भरे पड़े हैं। बेटियां आगे हैं, तो होनहार बेटों की भी कमी नहीं है। कॅरियर की चिंता में बच्चों को लेकर अभिभावक इधर-उधर हो रहे हैं। सरकारी स्कूल अभी सुस्ताने के मूड में हैं, लेकिन प्राइवेट स्कूल नए शिक्षा सत्र के लिए वंदनवार सजाकर बैठ गए हैं। इन सबके बावजूद शिक्षा के स्तर में...
More »एक साल में 64 फीसद बढ़े दालों के भाव
नई दिल्ली। महंगाई में नरमी के ट्रेंड के उलट नरेंद्र मोदी सरकार के पहले साल में प्रमुख मेट्रो शहरों में दालें 64 फीसद तक महंगी हुई हैं। खासतौर से घरेलू उत्पादन में कमी के चलते दालों के दाम बढ़े हैं। लगातार दूसरे वर्ष मानसून खराब रहने की भविष्यवाणी के बीच सरकार एमएमटीसी जैसी सरकारी टे्रडिंग फर्मों के जरिये दालों के आयात पर विचार कर रही है। इसका मकसद इनकी घरेलू आपूर्ति...
More »गांवों की ओर भी देखें हुक्मरान- देविन्दर शर्मा
किसी गांव की एक महिला बकरी खरीदना चाहती है। वह आर्थिक तौर पर अपने पैरों पर खड़े होना चाहती है। यह जानते हुए कि उसे मदद मिल सकती है, वह इस काम के लिए लघु वित्तीय संस्थान (एमएफआई) में संपर्क करती है। उसे लगभग 7,000 रुपए की जरूरत है। एक स्वयं सहायता समूह के जरिए काम कर रही एमएफआई उसे 24 प्रतिशत की दर पर ब्याज के हिसाब से यह...
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