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अहम साल रहा 2015, घातक पर्यावरणीय बदलावों के लिहाज से

बीता वर्ष 2015 अब तक का सबसे गर्म साल रहा है. हालांकि, पिछले करीब एक दशक में कई वर्ष ऐसे रहे हैं, जो उस समय तक सबसे गर्म साल के रूप में आंके गये, लेकिन वर्ष 2015 को इसलिए भी अहम माना जा रहा है, क्योंकि क्लाइमेट चेंज के लिहाज से विशेषज्ञों ने इसे 'टिपिंग प्वाइंट' करार दिया है. क्या इंगित करता है यह टिपिंग प्वाइंट, क्यों जतायी जा रही...

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जलवायु परिवर्तन से सामंजस्य जरूरी- भरत झुनझुनवाला

केन्द्र सरकार ने किसानों के लिये फसल बीमा की नई स्कीम घोषित की है। अनुमान है कि धरती का तापमान बढ़ने के कारण सुनामी, बाढ़, तूफान तथा सूखे जैसे मौसम में उपद्रव बढ़ेंगे। तदनुसार किसानों की समस्यायें बढ़ेंगी। फसल चौपट होने से इन्हें आत्महत्या करने अथवा खेती से पलायन करने को मजबूर होना पड़ेगा। अतः सरकार द्वारा घोषित बीमा योजना सही दिशा में है। हालांकि, कागजी उलझनों के कारण इसके...

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ताकि मौत को गले न लगाएं अन्‍नदाता - एनके सिंह

सरकार का यह कदम किसानों का भाग्य बदल सकता है और उन्हें आत्महत्या करने से बचा सकता है। हाल ही में केंद्र सरकार ने चिर-अपेक्षित नई फसल बीमा योजना मंजूर की, जो न केवल व्यावहारिक है, किसानों के लिए बेहद उत्साहजनक भी है। केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह के अनुसार इस नई नीति के तहत किसानों को मात्र 1.5 से 2.5 प्रतिशत फसल बीमा राशि का अंश देना होगा।...

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नई प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना है फायदे का सौदा

इंदौर। हाल ही में केंद्रीय कैबिनेट ने नई प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को मंजूरी दी है। ये योजना मौजूदा राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना और संशोधित राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना की जगह लागू होगी। सरकार के मुताबिक पुरानी योजना में कई तरह की खामियां थी जिसे इस नई योजना में सुधारा गया है। नई योजना जून से लागू होगी। प्रीमियम नई योजना में किसानों को खरीफ की फसल के लिए 2 फीसदी और...

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खेती की सुध

प्रधानमंत्री बीमा योजना से निस्संदेह किसानों की दशा कुछ सुधरने की उम्मीद बनी है। जिस तरह पिछले कुछ सालों से फसल बर्बाद होने और कर्ज के बोझ तले दबे होने के कारण किसानों में खुदकुशी की प्रवृत्ति दिखाई देने लगी है, उसके मद्देनजर व्यावहारिक फसल बीमा की मांग हो रही थी। हालांकि फसल बीमा योजना पहले से लागू थी, पर उसमें कुछ तकनीकी गड़बड़ियां और व्यावहारिकता की कमी होने के...

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