देश की आय में असमानता की चिंताजनक तस्वीर पेश करते हुए पिछले साल के आधार पर नए सर्वे ने बताया है कि 2017 में अर्जित देश की 73 फीसदी संपत्ति सिर्फ देश की एक फीसदी आबादी के पास गई है। 73 फीसदी संपत्ति सिर्फ एक फीसदी आबादी के पास जबकि, 67 करोड़ भारतीयों की संपत्ति में सिर्फ एक फीसदी का इजाफा हुआ है, जो देश की कुल आबादी का करीब आधा हिस्सा...
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अर्थव्यवस्था की आगे की राह-- अरविन्द कुमार सिंह
कृषि और विनिर्माण (मैन्युफैक्चरिंग) क्षेत्र में खराब प्रदर्शन के कारण चालू वित्तवर्ष में विकास दर की रफ्तार साढ़े छह प्रतिशत पर थमने की आशंका एक बार फिर बढ़ गई है। यह अनुमान केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) ने जताया है जिसके मुताबिक प्रतिव्यक्ति आय बढ़ने की गति अत्यंत धीमी है और साथ ही विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर घट कर छह साल के न्यूनतम स्तर (4.6 प्रतिशत) पर आ गई है।...
More »भारत के 1 फीसदी लोगों के पास 73% आबादी से अधिक धन-दौलत
भारत में बढ़ती आर्थिक असमानता के नए आंकड़े चौंकाने वाले हैं. देश में एक फीसदी लोगों के पास 73 फीसदी आबादी की आमदनी से भी ज्यादा पैसा है. हाल में आए इंटरनेशनल राइट्स समूह ऑक्सफैम की सर्वे रिपोर्ट में यह बात कही गई है कि भारत के सबसे अमीर 1 फीसदी लोगों के पास देश के 73 प्रतिशत लोगों की इनकम से भी ज्यादा पैसा है. वर्ल्ड इकॉनोमिक फोरम (विश्व आर्थिक...
More »आधार पर निराधार हैं आपत्तियां - रविशंकर प्रसाद
देश की विकास यात्रा में आधार क्रांतिकारी बदलाव ला रहा है। यह बिचौलियों व भ्रष्टाचार को खत्म कर गरीबों तक उनका हक पहुंचा रहा है। डिजिटल समावेशन व डिजिटल सशक्तीकरण डिजिटल इंडिया के दो प्रमुख लक्ष्य हैं, जिन्हें हासिल करने में आधार अहम भूमिका निभा रहा है। यह सुरक्षित होने के साथ-साथ डिजिटल इंडिया के परिवर्तनकारी व समावेशी विकास के लक्ष्य को प्राप्त करने का एक किफायती और सशक्त माध्यम...
More »गरीबी नहीं गैरबराबरी है चुनौती-- मृणाल पांडे
एक जमाना था, जब कक्षा से चुनावी भाषणों तक में ‘अहा ग्राम्य जीवन भी क्या है?' जैसे जुमले सुनने को मिलते थे. भला हो राग दरबारी के लेखक श्रीलाल शुक्ल का, जिन्होंने इस उपन्यास के मार्फत आजादी के बाद हमारे बदहाल गांवों की असलियत दिखाकर इस पाखंड पर ऐसी चोट की कि पढ़ने-लिखनेवाले लोग इस भावुक और निरर्थक मुहावरे से बचने लगे. फिर ‘90 के दशक में आर्थिक उदारीकरण...
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