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किसानों के हक में होगा यह कानून

119 साल पुराने भूमि अधिग्रहण कानून में संशोधन पर संसद ने इस हफ्ते मुहर लगा दी है। उद्योग जगत प्रस्तावित कानून को औद्योगिकीकरण के लिए नुकसानदेह बता रहा है, तो दूसरी तरफ ऐसा तबका भी है, जो मानता है कि यह बदलाव किसानों के हितों के लिहाज से पर्याप्त नहीं है। इस विधेयक को पारित कराने के सूत्रधार केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश से विजय गुप्ता ने बातचीत की- आकस्मिक...

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40 देशों में राजनीतिक दल करते हैं आय का खुलासा

नई दिल्ली। फ्रांस, इटली, जर्मनी और जापान सहित 40 देशों में राजनीतिक दलों को कानून के तहत अपनी आय का स्रोत, संपत्तियों और देनदारियों का अन्य रिकार्ड के साथ खुलासा करना होता है। एक अंतरराष्ट्रीय एनजीओ की रिपोर्ट में इसका खुलासा किया गया है। कामनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनीशिएटिव (सीएचआरआइ) की रिपोर्ट के अनुसार स्वीडन और तुर्की जैसे देशों में राजनीतिक दलों में स्वैच्छिक व्यवस्था है जिसमें वे अपने रिकार्ड सार्वजनिक करते हैं। इन देशों...

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गरीबों के नाम पर अर्थव्यवस्था का कबाड़ा- तवलीन सिंह

हमारे अपनों ने गरीब जनता के नाम पर पिछले सप्ताह की अर्थव्यवस्था की भयानक अनदेखी। दोष हर उस सांसद का है, जिसने खाद्य सुरक्षा विधेयक को पारित करने के लिए वोट डाला, लेकिन सबसे ज्यादा दोष किसी का है, तो वह है प्रधानमंत्री का, वित्त मंत्री का और सोनिया गांधी का। सोनिया और उनके सुपुत्र राहुल गांधी का हाथ भूमि अधिग्रहण विधेयक में भी है, जिसका पारित होना भी तकरीबन तय...

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यह गरीबी खत्म करने की रेखा नहीं- मिहिर शाह(योजना आयोग के सदस्य)

 गरीबी के बारे में योजना आयोग के नवीनतम आकलन पर बड़ी चीख-पुकार मची। यह हाय-तौबा जितनी तेज थी, समझ और विवेक उसी अनुपात में कम। सबसे निंदनीय थे वे राजनेता, जिन्होंने आम आदमी को चोट पहुंचाने वाली बातें कहीं। जरूरी यह है कि हम ये समझने का प्रयास करें कि सुरेश तेंदुलकर की गरीबी रेखा वास्तव में क्या बताती है? सुरेश तेंदुलकर देश के बेहतरीन अर्थशास्त्रियों में से एक थे। उन्हीं...

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खाद्य सुरक्षा से दूर होगी कुपोषण की समस्या

डॉ राजवीर शर्मा आइएआरआइ पूसा इंस्टीटयूट में बतौर प्रिंसिपल साइंटिस्ट(एग्रोनॉमी-ब्रीड कंट्रोल) कार्यरत हैं. पेश है खाद्य सुरक्षा और किसानों की समस्या पर पंचायतनामा के लिए संतोष कुमार सिंह से विशेष बातचीत : सरकार का दावा है कि खाद्य सुरक्षा कानून गरीबों के लिए है, इस लिहाज से मात्र 67 फीसदी लोगों को इसके दायरे में रखा गया है? इसका क्या मतलब हुआ क्या यह माना जाये कि देश में 67 फीसदी गरीब...

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