-न्यूजक्लिक, सदियों से करोडों लोगों के लिए श्रद्धा और विश्वास के प्रतीक रहे मर्यादा पुरुषोत्तम राम के नाम पर एक बार फिर देश को सांप्रदायिक तौर पर गरमाने और नफरत फैलाने का अभियान शुरू हो गया है। विश्व हिन्दू परिषद ने पूरे देश में 1990 के दशक जैसा जहरीला और तनावभरा माहौल बनाने की योजना बनाई है। इसकी शुरुआत मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र में हो चुकी है, जहां कुछ कस्बों...
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किसान आंदोलन: सिंघु बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों को नये साल से क्या उम्मीदें हैं?
-बीबीसी, मोदी सरकार के नये कृषि क़ानूनों की मुख़ालफ़त कर रहे हरियाणा-पंजाब के किसानों को नये साल से बहुत उम्मीदें हैं. किसानों को प्रदर्शन करते हुए महीना भर से अधिक हो चुका है, केंद्र सरकार से जारी बातचीत में उन्हें अब तक कोई बड़ी सफलता हाथ नहीं लगी है, पर उन्हें विश्वास है कि जीत उन्हीं की होगी. किसानों की प्रमुख माँग अब यह है कि 'सरकार उन्हें बताये कि वो तीनों कृषि...
More »आशा, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, डॉक्टर, नर्स या फिर पुलिसकर्मी, कोविड वैक्सीन सबसे पहले किसे लगना चाहिए?
-गांव कनेक्शन, कोविड-19 के संक्रमण से दुनियाभर में अब तक 17 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। इस महामारी से विश्व भर में 78.7 मिलियन लोग संक्रमित हो चुके हैं। राहत भरी खबर अभी यह है कि सरकार ऐसा दावा कर रही है कि जनवरी 2021 में कोविड वैक्सीन लगनी शुरू हो जायेगी। ऐसे में सवाल यह उठता है कि सरकार को वैक्सीन लगाने के लिए सबसे पहले...
More »साहित्य में विद्धता और रसिकता को अलग करके देखने का पूर्वाग्रह व्यापक है
-सत्याग्रह, विद्वत्ता और रसिकता साहित्य में, साहित्य की आलोचना और अध्यापन में विद्वत्ता को अक्सर सूखी और रसिकता को आर्द्र मानने का पूर्वाग्रह व्यापक है. पर ऐसे मुक़ाम, सौभाग्य से हमारे यहां रहे हैं जब विद्वत्ता और रसिकता किसी एक ही व्यक्ति में, लगभग आवयविक रूप से संलग्न, प्रगट हुए हैं. आचार्य रामचन्द्र शुक्ल आधुनिक आलोचना के परिसर में सबसे पहले हैं. वे अधीत (शिक्षित) विद्वान थे और गहरे रसिक भी. दशकों...
More »किसान आंदोलन: 35 साल पुराना इतिहास दोहराता हरियाणा का एक गांव
-बीबीसी, साल 1985. इंदिरा गांधी की हत्या को एक साल गुज़र चुका था, हत्या के बाद दंगे और सिखों के ख़िलाफ़ हुई हिंसा के ज़ख्म ताज़ा थे. हरियाणा में रोहतक के गाँव खरावड़ के रेलवे स्टेशन पर एक सुबह पंजाब मेल पैसेंजर ट्रेन ख़राब हो गई. ट्रेन में बड़ी संख्या में सरदार, महिलाओं और बच्चे बैठे थे. सबको चिंता थी कि सिखों के ख़िलाफ़ ख़राब माहौल के बीच हिंदू बहुल इलाक़े में इतने सरदार क्या...
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