साल 1865 में अमेरिकी गृहयुद्ध के खत्म होने के बाद अमेरिका में कपास उत्पादन को फिर से बढ़ावा मिलने का नतीजा यह हुआ था कि वहां भारतीय कपास की मांग काफी कम हो गयी. इसके चलते बंबई प्रेसिडेंसी में किसानों से कपास की खरीद में कमी आयी और भुगतान-संबंधी मांग बढ़ गयी. कर्जदाता इच्छुक किसानों को कर्ज देने में हिचकने लगे या फिर वे बहुत ज्यादा ब्याज पर कर्ज देने...
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जल्द मिले सस्ती औषधि की सौगात - डॉ एके अरुण
हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संकेत दिया कि ऐसा कानूनी ढांचा तैयार किया जाएगा जिसके तहत चिकित्सकों को उपचार के लिए महंगी ब्रांडेड दवाओं की जगह जेनेरिक दवाएं (जो मूल दवा है और सस्ती होती है) ही लिखनी होंगी। उल्लेखनीय है कि बेहद महंगी दरों पर मिलने वाली ब्रांडेड दवाएं मरीजों और उनके तीमारदारों की जेब पर इतनी भारी पड़ती हैं कि अधिकांश तो पर्याप्त मात्रा में दवाएं...
More »क्यों जरूरी हैं विश्वविद्यालय?-- मणीन्द्रनाथ ठाकुर
आज के युग में यह विचार करना जरूरी है कि क्या भारत जैसे देश में उच्च शिक्षा पर खर्च करना जरूरी है? आखिर विश्वविद्यालयों पर इतना खर्च क्यों किया जाये? क्यों नहीं विश्वविद्यालयों में फीस बढ़ा दी जाये? क्या इतने सारे छात्रों को शोध में लगाना उचित होगा? इन सारे प्रश्नों को लेकर हमें सोच-समझ कर ही अपनी राय बनाने का प्रयास करना चाहिए. भारत एक विकासशील देश है और...
More »फसलों के लिए फ्लाइ ऐश बेहतर खाद
धनबाद : पावर प्लांटों के लिए सिरदर्द साबित हो रहा फ्लाइ ऐश फसलों की उत्पादकता बढ़ाने में वरदान साबित हो सकता है. धनबाद स्थित सिंफर के दो वैज्ञानिकों की खोज में यह दावा किया गया है. पढ़िए यह रिपोर्ट. केंद्रीय खनन एवं ईंधन अनुसंधान संस्थान (सिंफर), धनबाद के वैज्ञानिकों की नयी खोज पावर प्लांटों एवं किसानों के लिए वरदान साबित हो सकता है. अभी कचरा के रूप...
More »रकबा घटा तो ईजाद किया नया फॉर्मूला- बीज बोएं आधा, उत्पादन दोगुना
रायपुर, नईदुनिया प्रतिनिधि। छत्तीसगढ़ समेत देशभर में जहां खेती का रकबा घटने से किसान संकट में हैं, वहीं कृषि वैज्ञानिकों ने अब किसानों के तनाव को खत्म करने का काम शुरू कर दिया है। इंदिरा गांधी कृषि विवि के वैज्ञानिकों ने चना बोने की एक ऐसी तकनीकी विकसित कर डाली है, जिससे उतनी ही जमीन पर करीब 40 फीसदी अधिक चने का उत्पादन किया जा सकेगा। साथ ही बीज भी पहले...
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