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उत्तर भारत में आंधी-तूफान: अब तक 89 की मौत, बढ़ सकता है आंकड़ा

लखनऊ/जयपुर/कोलकाता/रांची : बुधवार की देर शाम आयी आंधी और बारिश ने एक बार फिर से उत्तर प्रदेश और राजस्थान में जमकर तबाही मचायी है. जहां जबर्दस्त आंधी की चपेट में आकर राजस्थान में 24 लोगों की मौत हुई, वहीं उत्तर प्रदेश में 50 से ज्यादा लोगों की मौत की खबर है. आगरा में मरने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है. अभी तक केवल आगरा में ही 36 लोगों की...

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आरटीआई की अर्जियों को खारिज करने में अव्वल हैं सरकारी बैंक- सीएचआरआई की रिपोर्ट

एक नई रिपोर्ट का आकलन है कि रिजर्व बैंक समेत सरकारी क्षेत्र के अन्य बैंकों में आरटीआई की अर्जियों को ज्यादा तादाद में खारिज किया जा रहा है और ये बैंक मांगी गई जानकारियों का जवाब देने में फिसड्डी साबित हो रहे हैं. दिल्ली स्थित मानवाधिकार संस्था कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइटस् इनिशिएटिव(सीएचआरआई) के एक शोध-अध्ययन के मुताबिक साल 2016-17 में सरकारी क्षेत्र के 25 बैंकों को सूचना के अधिकार के तहत लगभग 73 हजार नई अर्जियां...

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रेप पर मौत की सजाः कैबिनेट के अध्यादेश को मिली राष्ट्रपति की मंजूरी

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 12 साल से कम उम्र की बच्चियों से बलात्कार के मामलों में दोषी व्यक्तियों को मृत्युदंड तक की सजा देने संबंधी अध्यादेश को आज अपनी स्वीकृति प्रदान कर दी। केंद्रीय कैबिनेट ने कल उस अध्यादेश को अपनी स्वीकृति दी थी जिसके तहत 12 साल से कम उम्र की बच्चियों से बलात्कार करने के दोषी ठहराये गये व्यक्ति के लिये मृत्युदंड की सजा सुनाए जाने की...

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गरीबी इतनी कि परिजन ने कैदी की लाश लेने से किया इनकार

बिलासपुर। हत्या के मामले में सजा काट रहे कैदी के परिजन को आर्थिक तंगी इतनी है कि उसकी मौत होने पर अंतिम संस्कार करने के लिए भी रकम जुटाना मुश्किल हो गया। इसके चलते सूचना के बाद परिजन ने जेल प्रशासन से गुहार लगाई कि नियमानुसार उसकी अंत्येष्टि कर दी जाए। उनकी हालत को देखते हुए जेल प्रशासन ने कफन-कफन कराया। मुंगेली जिले के जरहागांव थाना क्षेत्र के ग्राम पदमपुर निवासी...

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सूचना के संजाल में छीजती संवेदना--- दिनेश कुमार

समाज में साहित्य के लिए जगह लगातार कम होती जा रही है। प्राय: ऐसा प्रतीत होता है कि समाज को साहित्य की कोई जरूरत नहीं है। समाज की प्राथमिकता से साहित्य का गायब होना चिंता से अधिक चिंतन का विषय है। साहित्य के नए पाठक बन नहीं रहे हैं और जो पुराने हैं वे धीरे-धीरे विदा हो रहे हैं। हम एक तरह से क्रमश: साहित्य विहीन समाज की ओर बढ़...

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