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ई-गवर्नेंश पर 14वां सम्‍मेलन

ई-गवर्नेंश पर आधारित 14वां राष्‍ट्रीय सम्‍मेलन कल औरंगाबाद में शुरू होगा । महाराष्‍ट्र के राज्‍यपाल श्री के. शंकरनारायणन कल इस दो-दिवसीय वार्षिक आयोजन का उद्घाटन करेंगे । उद्घाटन सत्र में जिन अन्‍य गणमान्‍य हस्‍तियों के उपस्‍थित होने की संभावना है, उनमें महाराष्‍ट्र के मुख्‍यमंत्री श्री पृथ्‍वीराज चव्‍हाण, प्रधानमंत्री कार्यालय और कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन राज्‍य मंत्री श्री वी.नारायणसामी, महाराष्‍ट्र की राज्‍य मंत्री प्रो. श्रीमती फौजिया टी.खान, भारत सरकार के डीएआरपीजी सचिव श्री...

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कोयले से मिटती है भूख

धनबाद. जिले में एक-दो नहीं लगभग पचास हजार ऐसे लोग हैं जिनके पेट की आग मालगाड़ियों से बुझती है। कोयले से लदी मालगाड़ियां से कोयला चोरी कर बेचना इनका मुख्य पेशा है। गंदा है,अवैध है, पर यही इनका धंधा इनकी रोजरोटी का माध्यम है। इनके लिए मनरेगा कोई मायने नहीं रखता। इनका साफ कहना है कि आठ घंटे काम करने पर के बाद भी न्यूनतम मजदूरी से मनरेगा में अधिक नहीं मिलता,...

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सब्जी की खरीददारी अब प्री-पेड कार्ड के जरिए

लखनऊ,उत्तर प्रदेश की राजधानी में मोबाइल फोन की प्री-पेड बाउचर सेवा की तरह प्री-पेड कार्ड के जरिए हरी-ताजी सब्जियां खरीदने की सेवा जल्द ही शुरू होने वाली है। इसका बीड़ा उठाया है कि अहमदाबाद स्थित भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) के पूर्व छात्र कौशलेंद्र ने, जिनकी फाइबर ठेले पर ताजा सब्जी बेचने की परियोजना बिहार में बेहद लोकप्रिय हो चुकी है। कौशलेंद्र ने पटना की तरह लखनऊ वासियों के लिए गुरुवार को यहां इस...

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मनरेगा - पांच साल दुनिया की सबसे बड़ी रोजगार गारंटी योजना के

बहुत थोड़ी होती है पांच साल की अवधि फिर भी नरेगा की उपलब्धियां आवाक कर रही हैं। देश के सर्वाधिक गरीब में शुमार लोगों में से तकरीबन दस करोड़ ने बैंक या फिर पोस्ट-ऑफिस में बैंक अकाऊंट खोले हैं, लोग अपना अधिकार समझकर काम मांग रहे हैं, हजारों गांवों में कुएं-तालाब और ऐसे ही सामुदायिक इस्तेमाल के कई संसाधन तैयार हो रहे हैं, औरत हो या मर्द- दोनों को बराबर के काम के लिए बराबर की...

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साइकिल चलाते-चलाते ब्रांड बनी किसान चाची

मुजफ्फरपुर. 55 साल की राजकुमारी हर रोज 30-40 किलोमीटर का सफर साइकिल से तय करती हैं। पिछले 20 सालों से हर दिन साइकिल पर सवार होकर वह गांवों की ओर निकल जाती हैं जहां औरतों को खेती के गुर सिखाती हैं। आसपास के कई जिले उन्हें ‘किसान चाची’ के नाम से जानते हैं जहां उनका अचार, मुरब्बा, सॉस जैसे खाद्य वस्तुओं को बनाने का प्रशिक्षण कार्यक्रम चलता रहता है। अपने गांव आनंदपुर में...

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