गांवों में आम आदमी को सस्ता, सुलभ न्याय दिलाने के उद्देश्य से 73 वां संविधान संशोधन विधेयक के तहत बिहार में ग्राम कचहरी को भी कानूनी मान्यता दी गयी. छोटे-मोटे विवादों का निबटारा गांवों में हो, ताकि बड़ी अदालतों पर बोझ कम हो. इसी मकसद से ग्राम कचहरी का गठन किया गया. राज्य में इसके प्रप्रतिनिधि भी हजारों की संख्या में चुने गये. पंच-सरपंच संघ बिहार प्रदेश के अध्यक्ष आमोद...
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मॉनसून के भरोसे खेती कबतक?
बिहार में खरीफ की खेती अब भी वर्षा पर निर्भर है. सरकार हर साल कई करोड़ रुपये जल संसाधन पर खर्च करती है, लेकिन अब भी 93.6 लाख हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि में से केवल 56.03 लाख हेक्टेयर जमीन में ही शुद्ध रूप से खेती होती है और केवल 33.57 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि ही सिंचित है. मॉनसून अगर साथ दे, तो किसानों का सौभाग्य और अगर वह दगा दे, तो...
More »कृषि मशीनीकरण में भारत काफी पीछे
नई दिल्ली। खेती में मशीनों के इस्तेमाल में भारत अन्य देशों से काफी पीछे है। सरकार मजदूरों की कमी को देखते हुए इस क्षेत्र में मशीनरी के उपयोग को बढ़ावा दे रही है। एक सरकरी अधिकारी के अनुसार खेती के मशीनीकरण में जापान जैसे देशों की तुलना में बहुत पिछड़े हैं। गन्ने की खेती में यहां मात्र 10 से 15 फीसद ही यंत्रों का इस्तेमाल हो पाता है। इसलिए इसमें...
More »भुखमरी के जनतंत्र में खाद्य-सुरक्षा- अश्विनी कुमार
खाद्य सुरक्षा कानून लागू करने पर महीनों की दुविधा के बाद यूपीए सरकार ने आखिर अध्यादेश का रास्ता चुना. कांग्रेस महासचिव अजय माकन ने इसे लाइफ सेवर (जीवन रक्षक) व लाइफ चेंजर (जीवन बदलनेवाला) करार दिया, जबकि विपक्षी पार्टियों और नीतिगत विश्लेषकों ने इसे लागू करने के तरीके पर आपत्ति जाहिर की. यह ऐतिहासिक फैसला देश के करीब 67 फीसदी लोगों को सस्ते अनाज पाने का कानूनी हक मुहैया करायेगा. इस...
More »केंद्र के एक फैसले से राजस्थान के करीब 5 करोड़ लोगों को फायदा
जयपुर। राजस्थान में 1.44 करोड़ परिवारों की मुखिया अब महिलाएं होंगी। यह संभव होने जा रहा है नए फूड सिक्योरिटी अध्यादेश से। इस अध्यादेश को देश में सबसे पहले लागू करने वाला राज्य राजस्थान होगा। राज्य में अब तक आम तौर पर परिवार के कमाऊ पुरुष का नाम मुखिया के तौर पर इस्तेमाल होता था, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। फूड सिक्योरिटी अध्यादेश में...
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