पिछले दिनों ‘जर्मन रिसर्च सेंटर फॉर जियासाइंसेज' के शोधकर्ताओं ने चेताया कि दुनिया में प्रकाश प्रदूषण (लाइट पॉल्यूशन) तेजी से बढ़ रहा है और अगर इस पर नियंत्रण नहीं लगा तो आने वाले वर्षों में इंसानों, जानवरों और पेड़-पौधों का जीवन चक्र बुरी तरह प्रभावित हो सकता है। शोधकर्ताओं ने ‘साइंड एडवांसेज जर्नल' में प्रकाशित अपने शोध में बताया है कि अगर रातों को रोशन करने वाली स्ट्रीट लाइट और...
More »SEARCH RESULT
खाद्य सुरक्षा पर रस्साकशी-- रविशंकर
अर्जेंटीना के ब्यूनस आयर्स में आयोजित विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) की ग्यारहवीं मंत्रिस्तरीय बैठक बिना किसी नतीजे के समाप्त हो गई। इसमें हिस्सा ले रहे देश खाद्य व कृषि सबसिडी को लेकर आम राय नहीं बना सके। क्योंकि अमेरिका व अन्य विकसित देश बहुपक्षीय व्यापार संस्था के सदस्यों द्वारा सार्वजनिक खाद्य भंडारण के मसले का स्थायी समाधान खोजने की अपनी प्रतिबद्धता से मुकर गए। भारत और उसके साथ खड़े डब्ल्यूटीओ...
More »कहीं बैंकों से भरोसा ना उठ जाय-- बिभाष कुमार श्रीवास्तव
अमेरिका में आए 2008 के वित्तीय भूचाल से पूरी दुनिया में अफरा-तफरी मच गई थी। बैंकों और वित्तीय संस्थाओं को सरकार ने बेल-आउट पैकेज के माध्यम से उबारा। बेल-आउट का जबर्दस्त विरोध किया गया। लोगों ने कहा कि ‘करदाताओं' के पैसे से किसी विफल होती संस्था को उबारना नैतिक खतरे (मोरल हजार्ड) पैदा करता है। तब वित्तीय मामलों के जानकारों की तरफ से ‘बेल-इन' की नई अवधारणा पेश की गई।...
More »सामूहिकता जब नजीर बन जाए-- रामचंद्र गुहा
अच्छे से बाल बांधकर पीली टी-शर्ट पहने पांच साल की सौम्या कश्यप की फोटो देखकर एकाएक नजरें उसकी बड़ी-बड़ी आंखों पर टिक जाती हैं। सौम्या की गोलमटोल आंखें न जाने दुनिया को खोजने की चाहत बयां करती हैं। फोटो में दिख रही उसकी आंखों की चमक और मासूम चेहरा अब असल जिंदगी में देखने को नहीं मिल पाएगा। दो महीने पहले शनिवार के दिन स्कूल जाते समय वह स्कूल बस...
More »बीमार स्वास्थ्य तंत्र का निदान-- राजू पांडेय
विश्व स्वास्थ्य सूचकांक में भारत का स्थान 188 देशों में 143वां है। भारत स्वास्थ्य पर अपने जीडीपी का सिर्फ 1.4 प्रतिशत व्यय करता है। जबकि अमेरिका जीडीपी का 8.3 प्रतिशत, चीन 3.1 प्रतिशत और दक्षिण अफ्रीका 4.2 प्रतिशत व्यय करता है। स्वास्थ्यमंत्री फरवरी 2015 में राज्यसभा में यह स्वीकारकर चुके हैं कि देश में चौबीस लाख नर्सों और चौदह लाख डॉक्टरों की कमी है। हम प्रतिवर्ष केवल साढ़े पांच हजार...
More »