जनसत्ता 21 मार्च, 2012: लोकसभा में पिछले वर्ष प्रस्तुत किए गए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक से कोई सहमत हो या असहमत, पर इसके महत्त्च से इनकार नहीं किया जा सकता। मौजूदा रूप या इससे काफी मिलते-जुलते रूप में यह विधेयक पारित हो गया तो आने वाले अनेक वर्षों तक इसका हमारी खाद्य और कृषि व्यवस्था पर बहुत व्यापक असर पड़ेगा। इसलिए इस विधेयक से संबंधित जानकारी अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचे...
More »SEARCH RESULT
थोड़ी खुशी ज्यादा गम- ।।प्रभात पटनायक।।
भूमि अधिग्रहण और विकास के शोर में हमारी जर्जर कृषि अर्थव्यवस्था भयानक संकट का सामना कर रही है, मगर वित्तमंत्री बजट में खेती-बाड़ी पर शोध के लिए 200 करोड़ की मामूली रकम का इंतजाम करके दूसरी हरित क्रांति का सपना देख रहे हैं. वित्त वर्ष 2012-13 का बजट कई वजहों से अहम माना जा रहा है. एक तरफ़ यूपीए सरकार चुनावी हार का सामना करने के बाद सियासी मोर्चे पर घिरी हुई...
More »मनरेगा का कायाकल्प- मिहिर शाह समिति की सिफारिशें
रोजगार के लिए अर्जी देने वाले लोगों को साल में प्रति दिन 100 रुपये की मजदूरी के हसाब से अधिकतम 100 दिन के काम की गारंटी देने वाले कार्यक्रम मनरेगा का योजना आयोग के सदस्य मिहिर शाह की आध्यक्षता में गठित समिति की सिफारिशों के आधार पर कायाकल्प होने जा रहा है। उन सिफारिशें का जिक्र नरेगा-2.0 कहलाने वाले महात्मा गांधी नेशनल रुरल एम्पलॉयमेंट गारंटी एक्ट 2005- ऑपरेशनल गाईडलाइन्स नामक...
More »वित्तमंत्री की नींद क्यों उड़ी है- आनंद प्रधान
जनसत्ता 15 फरवरी, 2012 : वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी की नींद उड़ गई है। उनका कहना है कि जब भी वे सब्सिडी के बढ़ते बोझ के बारे में सोचते हैं, उनकी रातों की नींद उड़ जाती है। असल में, वित्तमंत्री ने चालू वित्तीय वर्ष के बजट में विभिन्न मदों (खासकर खाद्य, उर्वरक और पेट्रोलियम) में कुल 1.43 लाख करोड़ रुपए की सब्सिडी का अनुमान लगाया था, लेकिन रिपोर्टों के मुताबिक, इसमें लगभग एक लाख...
More »विकास की बंद गली- भारत डोगरा
जनसत्ता 2 फरवरी, 2012 : हाल के वैश्विक संकट ने विश्व-स्तर पर लोगों को नए सिरे से आर्थिक नीतियों के बारे में सोचने के लिए प्रेरित किया है। अब आम लोग और विशेषज्ञ दोनों निजीकरण, बाजारीकरण और भूमंडलीकरण पर आधारित मॉडल की प्रासंगिकता पर सवाल उठा रहे हैं। आम लोगों की बेचैनी की अभिव्यक्ति सबसे प्रबल रूप में आक्युपाइ द वॉल स्ट्रीट आंदोलन के रूप में हुई है। दूसरी ओर, इस बार...
More »