क्या आपको अर्जुन सेनगुप्ता समिति की रिपोर्ट की याद है? यही थी वह रिपोर्ट जिसने सरकार के गरीबी के आंकड़ों को झुठलाते हुए कहा कि तकरीबन 80% भारतीय रोजना 20 रुपये से भी कम की आमदनी में गुजारा करने को बाध्य हैं।नेशनल कमीशन फॉर इन्टरप्राइजेज इन द अनआर्गनाइज्ड सेक्टर के नाम से जानी गई यह रिपोर्ट अब सूचनाओं के सार्वजनिक जनपद से गायब है। नेशनल कमीशन फॉर इन्टरप्राइजेज इन द अनआर्गनाइज्ड सेक्टर की वेबसाइट अब...
More »SEARCH RESULT
बिहार में बाढ़ से 50 हजार लोग बेघर, 10 हजार एकड़ में लगी फसल बर्बाद
भागलपुर। बाढ़ का रौद्र रुप दिनों दिन बढ़ते ही जा रहा है। नवगछिया के राघोपुर गांव के बाद रविवार को नाथनगर प्रखंड में तबाही देखने को मिली है। बाढ़ से अबतक दर्जनों गांव इसके चपेट में आ गये हैं, जिससे तकरीबन पचास हजार लोग बेघर हो गये हैं और करीब दस हजार एकड़ खेत में लगी फसल, सब्जी वगैरह डूब कर बर्बाद हो गए है। इन गांवों के लोग हुए बेघर प्रखंड में बाढ़ से...
More »एक आंदोलन का पुनरुद्धार!- शिरीष खरे(तहलका, हिन्दी)
क्या जल सत्याग्रह की सफलता पिछले 26 साल से चल रहे नर्मदा बचाओ आंदोलन में नई जान फूंक पाएगी? शिरीष खरे की रिपोर्ट. पिछले दिनों जल सत्याग्रह के चलते मध्य प्रदेश के खंडवा जिले का घोघलगांव सुर्खियों में आया और उसी के साथ नर्मदा बचाओ आंदोलन भी. नर्मदा घाटी में जल सत्याग्रह का तरीका नया नहीं है. 1991 में मणिबेली (महाराष्ट्र) का सत्याग्रह जल समाधि की घोषणा के साथ ही चर्चा में...
More »उनकी आंखों में नहीं है पानी- भारत डोगरा
हाल के दिनों में जिसने भी टीवी पर या अन्य मीडिया में 15-17 दिनों से गले तक नदी के पानी में खड़े नर्मदा जल सत्याग्रहियों के चित्र देखें हैं, वे द्रवित हुए बिना नहीं रह सके हैं। केवल मध्य प्रदेश की संवेदनहीन सरकार ही है, जिसकी नींद देर से टूटी। सरकार ने अब जाकर उनकी मांगों पर गौर किया है। यहां यह बताना जरूरी है कि सत्याग्रही सरकार से अपने...
More »जल सत्याग्रहः जान दे देंगे, अपना गांव नहीं छोड़ेंगे
भोपाल/हरदा।इंदिरा सागर बांध में 260 मीटर के ऊपर पानी भरने के विरोध में नर्मदा तटीय इलाके के गांवों में जल सत्याग्रह का बिगुल बज गया है। नर्मदा बचाओ आंदोलन और डूब प्रभावित लोगों का कहना है कि बांध का जलस्तर 260 मीटर से नीचे लाया जाए। उनका तर्क है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश अनुसार डूब लाने के छह माह पहले संपूर्ण पुनर्वास होना जरूरी है। गांव वाले पिछले एक हफ्ते...
More »