चौरीचौरा गोरखपुर से राजघाट नई दिल्ली के लिए निकली ‘नागरिक सत्याग्रह पदयात्रा’ 200 किमी यात्रा करके 11 फरवरी को गाजीपुर पहुंची, जहां स्वागत करने के स्थान पर पुलिस ने सत्याग्रही पदयात्रियों को शांतिभंग की धाराओं में जेल भेज दिया. यह यात्रा चौरी-चौरा से इसलिए शुरू की गई क्योंकि ‘यह वो जगह थी जहां 1922 में यानी लगभग सौ साल पहले अंग्रेजों के खिलाफ हुई हिंसा के कारण गांधी ने असहयोग आंदोलन...
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दूसरा पहलूः गोली और गाली नहीं, विकास चाहिए
दिल्ली विधानसभा चुनाव में ध्रुवीकरण और विभाजनकारी प्रचार सारी हदों को पार कर गया. मतदाताओं ने इन सबको खारिज कर आप को फिर मौका दे दिया. लेकिन क्या भाजपा अपने इस प्रयोग को दूसरे राज्यों में भी आजमाएगी और भाजपा के लिए शाहीन बाग की राजनैतिक उपादेयता खत्म होने के बाद उसे दिल्ली पुलिस कितने दिन और बर्दाश्त करेगी ? विवादास्पद नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के बाद सबसे पहले दिल्ली में...
More »झारखण्ड: न्याय से वंचित है डोली मजदूर मोतीलाल बास्के का परिवार
‘मेरे पति की हत्या 9 जून 2017 को सीआरपीएफ कोबरा ने 11 गोली मारकर कर दी और उन्हें एक दुर्दांत माओवादी घोषित कर दिया। जबकि वे पारसनाथ पर्वत पर चावल-दाल का छोटा सा दूकान चलाते थे और जैन धर्मावलम्बिायों को पर्वत वंदना कराने के लिए डोली मजदूर का काम भी करते थे। उनकी हत्या के बाद मेरे घर पर झारखंड मुक्ति मोर्चा के शिबू सोरेन, हेमंत सोरेन, बाबूलाल मरांडी समेत...
More »CAA: उत्तर प्रदेश में पुलिसिया दमन पर जांच दल की रिपोर्ट जारी
नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में हुए प्रदर्शनों को दबाने के लिए उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा किये गए दमन की शिकायतों की जांच करने, यौनिक हिंसा और राजकीय दमन के खिलाफ महिलाएं (WSS) की पांच सदस्यीय टीम विगत 1-2 फरवरी को पश्चिमी उत्तर के मेरठ, शामली, मुज़फ्फरनगर और बिजनौर जिलों के दौरे पर गई। यह जांच समिति मेरठ में 5, मुज़फ्फरनगर में 1 और नहटौर, जिला बिजनौर के 2 मृतकों...
More »डेढ़ सौ बरस के गांधी का नवीन वैभव
गए साल अक्टूबर की 20 तारीख़ को कानपुर में एक गोष्ठी से गुज़रना हुआ था. विचारशीलता और बौद्धिक हस्तक्षेप की पत्रिका ‘अकार’ के मार्फ़त आयोजित इस गोष्ठी का विषय ‘डेढ़ सौ बरस के गांधी’ था. इस गोष्ठी के दरमियान लिए गए नोट्स इन पंक्तियों के लेखक की डायरी में लंबे समय तक दबे रहे. कानपुर से लौटकर इन नोट्स पर लौटना न हुआ, लेकिन अब हो रहा है—पर्याप्त देर से ही...
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