हालांकि केंद्र सरकार ने मनरेगा के अन्तर्गत दी जाने वाले मजदूरी को उपभोक्ता मूल्य सूचकांक से जोड़ने की बात मान ली है, फिर भी वह इस मामले में संविधानप्रदत्त न्यूनतम मजदूरी देने में संकोच कर रही है जबकि देश के कई सूबों में अब भी मनरेगा के अन्तर्गत दी जाने वाली मजदूरी न्यूतम मजदूरी से कम है। सरकार का तर्क है कि न्यूनतम मजदूरी दी गई तो बढ़ा हुआ वित्तीय...
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आगामी पंचायत चुनाव में महिलाओं का होगा राज!
पटना। बिहार में अगले वर्ष अप्रैल महीने में ग्राम पंचायतों के लिए चुनाव होने हैं। राज्य में कुल 8 हजार 463 ग्राम पंचायतों में होने वाले चुनाव में 3 हजार 784 ग्राम पंचायतों में मुखिया का पद महिलाओं के लिए आरक्षित कर दिया गया है। राज्य निर्वाचन विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि इन 3 बजार 784 महिला मुखियाओं में से सामान्य वर्ग की 2 हजार 611 मुखिया होंगी, जबकि...
More »बढ़ता दायरा घटता प्रभाव!
पिछले कुछ समय में बिहार में नक्सली हिंसा कम हुई है लेकिन नक्सल प्रभावित इलाके बढ़े हैं. इस बार नक्सलियों द्वारा बहिष्कार की घोषणा के बावजूद विधान सभा चुनाव में मतदान का प्रतिशत बढ़ा है. इसे नक्सलियों के घटते असर के रूप में देखा जाए या उनकी बदली रणनीति के तौर पर, बता रहे हैं निराला एनएच टू यानी जीटी रोड पर है डोभी. डोभी से ही गया-बोधगया जाने के लिए...
More »ग्रामीण गरीबी रिपोर्ट 2011
जब कभी दुनिया की गरीबी पर कोई रिपोर्ट जारी होती है, तो उसमें दक्षिण एशिया- उसमें भी खासकर भारत सबसे बदहाल दिखता है। हमारे यहां न सिर्फ सबसे ज्यादा संख्या में कम वजन (अंडरवेट) के बच्चे हैं, बल्कि प्रसूति के दौरान माताओं की मृत्यु की दर भी बेहद ऊंची है। भारत में ही सबसे ज्यादा ऐसे बच्चे हैं, जो स्कूल नहीं जाते और विश्व कुपोषण सारणी में भी भारत का...
More »आत्मसम्मान का मजबूत होता जज्बा-- योगेन्द्र यादव
-सफ़ाई कर्मचारी आंदोलन द्वारा देश की राजधानी में आयोजित सम्मेलन अपने आप में एक ऐतिहासिक घड़ी थी. -सदियों से मैला उठाने वाला समाज अब टोकरी नहीं आवाज उठाना चाहता है, हाथ में झाड़ू नहीं किताब लेना चाहता है. -सरकार के झूठे वादों पर उम्मीद बांधने की बजाय अब इस समाज ने खुद मैलाप्रथा को खत्म करने की ठान ली है. आज भी कई लाख लोग अपने सर पर मैला उठाने को अभिशप्त हैं....
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