खास बातें- दुनिया में सबसे ज्यादा बड़े बांध बनाने वाले देशों में भारत तीसरे नंबर पर है। यहां अभी 3600 से ज्यादा बड़े बांधे हैं, जबकि 700 से ज्यादा अभी बनने की प्रक्रिया में हैं। भारत में बांधों की वजह से हुए विस्थापन के बारे में अलग अलग-अलग अनुमान हैं। दास और राव (1989) ने दावा किया कि भारत में बांध परियोजनाओं की वजह से दो करोड़ दस लाख लोग विस्थापित हुए। बड़े...
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येद्दियुरप्पा : मुख्यमंत्री या भू-माफिया ?
कर्नाटक में सरकारी जमीनों को लेकर हुई धांधली ने घोटालों का नया रिकार्ड कायम कर दिया है। मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने परिवार और पार्टीवालों को जमीनें बांटकर खूब उपकृत किया। घोटाला उजागर होने पर वे कहते रहे कि उन्होंने जो भी किया, वह वैसा ही है जैसा पूर्व के मुख्यमंत्रियों ने किया। अब पार्टी हाईकमान ने कार्रवाई की तलवार लटका दी है तो येदियुरप्पा के परिवारवाले जमीन लौटा रहे हैं। पर इससे...
More »अधिग्रहण नीति की आलोचना राजनीति से प्रेरित : विद्रोही
हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने कहा है कि इनेलो की कांग्रेस सरकार की भूमि अधिग्रहण नीति की आलोचना महज राजनीति से प्रेरित है। इनेलो आधे अधूरे तथ्य परोसकर अपना राजनीतिक हित साधने का प्रयास कर रही है। विद्रोही ने कहा कि वास्तविकता यह है कि गुड़गांव निगम क्षेत्र में भूमि अधिग्रहण मुआवजे के तहत एक एकड़ जमीन पर किसानों को 72 लाख रुपये नकद मिलेंगे। वहीं यदि...
More »हरियाणा के किसानों का दिल्ली में प्रदर्शन
हिसार। भूमि अधिग्रहण अधिनियम 1894 में संशोधन की माग के लिए हरियाणा के किसानों ने पुलिस की घेराबंदी के बीच दिल्ली में जंतर-मंतर पर प्रदर्शन किया। किसान संघर्ष समिति व अखिल भारतीय किसान सभा के तत्वावधान में हुए प्रदर्शन में फरीदाबाद जिले के चंदावली, पलवल, गोरखपुर , अंबाला व सिरसा जिलों के किसान पहुंचे। प्रदर्शन के बाद किसानों ने प्रधानमंत्री को संबोधित एक ज्ञापन उनके निजी सचिव को उनके कार्यालय...
More »किसान-सरकार साझेदारी का मॉडल
भू-अर्जन कानून 1894 में मामूली सा संशोधन कर ग्रामसभा की भूमि का उपयोग बदले जाने के बावजूद भारत के गांवों के किसानों एवं भूमिहीनों के वंशजों का भविष्य सुनिश्चित किया जा सकता है। इस संशोधन का नाम सक्रिय समूहों ने किसान-सरकार साझेदारी तय किया है। अगस्त में उत्तर प्रदेश के जिरकपुर हुए किसान आंदोलन के बाद विभिन्न राजनीतिक पार्टियों ने एक स्वर में भू-अर्जन कानून 1894 में संशोधन की मांग की थी। मामला...
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