हमारे देश की नींव दो लोगों के कंधे पर खड़ी है, इनमें प्रथम जवान हैं दूसरे किसान हैं। पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने नारा दिया था- जय जवान, जय किसान। वर्तमान सरकार के पिछले 18 महीने के कार्यकाल में कृषि के क्षेत्र को बहुत ही बेरहमी से कुचला गया है। कृषि भारतीय अर्थव्यस्था की रीढ़ है। न केवल जीडीपी में इसका 16 प्रतिशत का योगदान है, बल्कि लगभग 50...
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भूखे रह कर गुजारा कर रहे पूर्व मंत्री कमल गुहा के रिश्तेदार
जलपाईगुड़ी: डंकन्स ग्रुप के बागराकोट चाय बागान में वाम मोरचा सरकार में मंत्री रहे स्वर्गीय कमल गुहा और वर्तमान में उनके पुत्र व तृणमूल कांग्रेस के नेता उदयन गुहा के रिश्तेदार भी इन दिनों आधा पेट खाना खाकर किसी तरह से अपना गुजारा कर रहे हैं. कभी बंद चाय बागानों के श्रमिकों के हित में कमल गुहा उनके साथ खड़े थे. आज पूर्व कृषि मंत्री के रिश्तेदार डुवार्स के...
More »आंकड़ों की धूल में छिपा सच-- अनिल रघुराज
इसका स्वार्थ, उसका स्वार्थ. तेरा स्वार्थ, मेरा स्वार्थ. सबका स्वार्थ अलग-अलग हो सकता है. लेकिन, सबका सच एक ही होता है. दिक्कत यह है कि शोर में सच कहीं खो गया है. भांति-भांति की आवाजों में इस सच को खोज पाना भूसे के ढेर में सुई ढूंढने जैसा है. यह मुश्किल जरूर है, लेकिन नामुमकिन नहीं. बस, शोर को बड़ा एकाग्र होकर सुनना होगा, जैसे नाद योग या नाद साधना...
More »दो साल का संघर्ष, खर्च 3 लाख, क्लेम मिला 3, 6 व 13 रुपए
बलबीर सिंह, ग्वालियर। सोयाबीन की खराब हुई फसल की बीमा का पैसा लेने के लिए विदिशा के किसानों ने दो साल तक संघर्ष किया। हाईकोर्ट में केस लड़ा और तीन लाख रुपए खर्च भी किए। लेकिन कोर्ट के आदेश के बाद भारतीय कृषि बीमा निगम ने किसानों को जो राशि दी उसे देखकर वे हैरान रह गए। किसी के खाते में 3 रुपए आए तो किसी को 6, 13, 25...
More »अपनी तबाही रचते शहर- अनिल पद्मनाभन
भारत उन 163 देशों की सूची में सबसे ऊपर है, जिनके बाशिंदे हर साल सबसे अधिक बाढ़ की मुसीबतें झेलते हैं। हाल के दिनों में चेन्नई, श्रीनगर, मुंबई जैसे शहरों में सैलाब से तबाही का जो मंजर हमने देखा, उसके लिए बहुत हद तक दोषी हमारा गैर-जिम्मेदाराना रवैया और अनियोजित शहरीकरण है। मिन्ट के डिप्टी मैनेजिंग एडिटर अनिल पद्मनाभन का विश्लेषण चेन्नई में आई बाढ़ अब उतार पर है। इस त्रासदी...
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