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न्यायिक स्वतंत्रता का सवाल- राजीव धवन

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस मार्कंडेय काटजू कुछ कहते हैं, तो उस पर सबका ध्यान जाता है। लेकिन इस बार मामला अलग है। स्वाभाविक है, जब वह न्यायपालिका पर राजनीतिक दबाव में आने का आक्षेप लगा रहे हों, और उसकी स्वतंत्रता पर सवाल खड़े कर रहे हों, तो यह महज संवाद बनकर नहीं रह सकता। आखिर यह मामला तीन पूर्व प्रधान न्यायाधीश और सीधे तौर पर पिछली यूपीए सरकार के...

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बिहार: 'सड़ी हुई प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था'- अमरनाथ तिवारी(बीबीसी)

शिक्षा और शिक्षकों को लेकर बिहार आजकल चर्चा में है जहां फ़र्ज़ी प्रमाणपत्रों का सहारा लेकर शिक्षक बनने के कई मामले सामने आ रहे हैं. राज्य में जब प्राथमिक स्कूलों में शिक्षकों की बड़े पैमाने पर भर्ती शुरू हुई तब कई लोगों को लगा कि इससे राज्य में शिक्षा का स्तर बेहतर होगा. लेकिन क्या वाक़ई ऐसा हुआ? पढ़ें पटना से अमरनाथ तिवारी की पूरी रिपोर्ट बिहार में साल 2003 में अनुबंधित शिक्षकों...

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बजट के पीछे की राजनीति- नीलोत्पल बसु

केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने आम बजट पेश करके देश के सामने विकास का रोडमैप रखा है. इस बजट पर विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता और विशेषज्ञ क्या सोचते हैं. ‘बजट के पीछे की राजनीति' पर ‘प्रभात खबर' एक सीरीज शुरू कर रहा है. इसी सीरीज में आज पढ़ें पहली कड़ी. एनडीए सरकार द्वारा पेश आम बजट और रेल बजट आम लोगों के लिए निराश करने वाला रहा. आम बजट...

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स्मार्ट सिटी एक सौ, और गांव?- कृष्ण प्रताप सिंंह

नयी सरकार को समझना चाहिए कि गांवों ने पिछली सरकार को अपनी क्रूर नासमझी में समझने से मना कर दिया था कि जस के तस पड़े बदहाली पर रोते गांव यदि स्मार्ट नहीं होंगे, तो वे शहरों को भी स्मार्ट नहीं ही होने देंगे. गांवों के इस देश के नये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फिलहाल देश में सौ स्मार्ट सिटी चाहिए! इस बात को वे आजकल विभिन्न अवसरों पर बार-बार दोहरा...

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कालेधन पर अध्ययनः गोल माल है भाई सब गोलमाल...

नयी दिल्ली: पूर्ववर्ती संप्रग सरकार द्वारा शुरु कराया गया अध्ययन तीन सालों के बाद भी बेनतीजा निकला. सरकार अबतक काले धन को लेकर कोई विशेष कदम नहीं उठा पायी है.   पिछली सरकार ने 21 मार्च 2011 को यह अध्ययन शुरु कराया था और इसके लिए 18 महीने का समय दिया था जो 21 सितबर 2012 को पूरा हो गया था. यह अध्ययन नैशनल इंस्टीच्यूट ऑफ पब्लिक फाइनांस एंड पालिसी (एनआईपीएफपी), नैशनल...

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