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बीमारी नयी नहीं, जड़ पर चोट की जरूरत- कृष्ण कुमार

वसंत के मौसम में परीक्षा में नकल की बातें अक्सर सामने आती हैं. जैसे ही परीक्षा का मौसम का खत्म होता है, सबकुछ सामान्य हो जाता है. अब जिस व्यवस्था में पढ़ाई का एक मात्र लक्ष्य परीक्षा पास करना हो, और हमने उसी तरह की परीक्षा प्रणाली भी विकसित की हो जिसमें ज्ञान अजिर्त करना छात्रों का उद्देश्य न हो, बल्कि परीक्षा में अधिक अंक लाना ही एकमात्र उद्देश्य हो,...

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सोच बदलने से बढ़ेगी साक्षरता- वरुण गांधी

वर्ष 2014 में देश में तीस करोड़ से ज्यादा बच्चे 6-17 के आयुवर्ग के थे। देश में प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों की संख्या क्रमशः 1,191,719 और 233,845 हैं, जबकि माध्यमिक और उच्च माध्यमिक शिक्षा में हमारा सकल पंजीकरण अनुपात क्रमशः 73.6 और 49.1 है। उच्चतर शिक्षा के क्षेत्र में तो यह अनुपात महज 21.1 फीसदी है। वहीं प्राथमिक और उच्च माध्यमिक शिक्षा में हमारा शिक्षक-विद्यार्थी अनुपात क्रमशः 28 और 40...

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सहस्राब्दि विकास लक्ष्य- भारत किस ओर?

सहस्त्राब्दि विकास लक्ष्य(एमडीजी) पर केंद्रित इंडया कंट्री रिपोर्ट में कहा गया है कि भुखमरी और मातृ मृत्यु को 2015 तक कम करने के दो महत्वपूर्ण लक्ष्य से भारत पीछे रह जाएगा। सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय द्वारा जारी इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भोजन की कमी के शिकार लोगों की संख्या में 50 प्रतिशत कमी करने के अपने लक्ष्य से पीछे रह जाएगा। यह एमडीजी-1 के अंतर्गत लक्ष्य-2 में...

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भूमि अधिग्रहण कानून में सुधार: वास्तविक तस्वीर- अरुण जेटली

सरकार ने 31 दिसंबर 2014 को भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनरुद्धार संशोधन कानून, 2013 में उचित मुआवजे के अधिकार और पारदर्शिता के कुछ प्रावधानों में संशोधन के लिए अध्यादेश जारी किया। आखिरकार इस कानून में संशोधन की क्या जरूरत पड़ी और इन संशोधनों के क्या मायने हैं? इस बात का बार-बार उल्लेख होता रहा है कि भूमि अधिग्रहण कानून, 1894 पुराना पड़ चुका है और इसमें संशोधन की जरूरत है। 1894...

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मशहूर अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज का अध्ययन, तमिलनाडु, छत्तीसगढ़ और बिहार आदर्श

सार्वजनिक वितरण प्रणाली में सुधार के मुद्दे पर मशहूर अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज और रीतिका खेड़ा का एक अध्ययन हाल ही में मशहूर पत्रिका ‘इकॉनोमिक एंड पॉलिटिकल वीकली' में प्रकाशित हुआ है, जो बताता है कि तमिलनाडु, छत्तीसगढ़, बिहार और ओड़िशा में पीडीएस में अभूतपूर्व सुधार हुआ है. अर्थशास्त्रियों ने माना है कि लीकेज से संबंधित सरकारी आंकड़े बढ़ा-चढ़ा कर पेश किये गये हैं. पढ़ें इस मुद्दे पर एक टिप्पणी. ज्यां द्रेज...

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