बालोद। जिला मुख्यालय बालोद के ग्राम पीपरछेड़ी, पोण्डी, मटिया एवं चारवाही के ग्रामीणों के बीच राशन दुकान में मिलने वाले चावल में प्लास्टिक के चावल होने की आशंका से ग्रामिणों के बीच दहशत की स्थिति बनी हुई है। इसके चलते सरकारी दुकानों से राशन खरीदने में कतराने लगे हैं। ग्राम पोण्डी, लोण्डी, खैरवही, चारवाही, पीपरछेड़ी, निपानी, भेड़िया नवागांव, हीरापुर के ग्रामीणों ने बताया कि सोसाइटी से खरीदकर लाए गए चावल का...
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भिक्षाटन कर मुखिया ने स्कूल के लिए खरीदी जमीन
शिवाजीनगर (समस्तीपुर) : समस्तीपुर जिले के शिवाजीनगर के बल्लीपुर पंचायत में एक गांव है- गीदरगंज. पिछले दस वर्षों से यहां के बच्चे झोंपड़ी में चल रहे प्राथमिक विद्यालय में जमीन पर बैठ कर पढ़ने काे विवश हैं. ज्यादातर अल्पसंख्यक व महादलित समुदाय के बच्चे हैं. लेकिन, बल्लीपुर पंचायत के मुखिया विनोद मंडल की पहल से इन बच्चों के लिए अब स्कूल का इंतजाम होगा. दरअसल विनोद गांव में...
More »राइट आॅफ प्राइवेसी पर ट्रार्इ भी गंभीर, मोबाइल एप्स प्रोवाइडरों को प्राइवेट इन्फाॅर्मेशन मांगना नहीं होगा आसान
नयी दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट की नौ सदस्यीय संविधान पीठ की आेर से निजता के अधिकार (राइट आॅफ प्राइवेसी) मामले पर भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्रार्इ) भी गंभीर दिखार्इ दे रहा है. कुछ मोबाइल एप्स द्वारा फोन ग्राहकों की सूचनाओं को मांगने के मामले को ट्राई गंभीरता से ले रहा है. नियामक के संज्ञान में यह तथ्य आया है कि कुछ मोबाइल एप्स द्वारा ऐसे सूचनाएं भी मांगी जाती हैं, जिनका...
More »राजस्थान के पानी से उत्तर गुजरात की नदियां उफनीं, पांच राज्य बाढ़-बारिश से प्रभावित
नई दिल्ली। झमाझम बारिश के चलते पहाड़ों से मैदानों तक कई राज्यों में हालात बदतर हो गए हैं। गुजरात, राजस्थान, असम, ओडिशा और पश्चिमी बंगाल में सोमवार को जमकर बारिश हुई। इन राज्यों में हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है। मौसम विभाग ने मंगलवार तक बारिश का सिलसिला जारी रहने की संभावना बताई है। गुजरात गुजरात के सौराष्ट्र व दक्षिणी इलाकों में बाढ़ के हालात के बीच पश्चिमी राजस्थान में हुई...
More »मेड और मैडम का वर्ग संघर्ष-- आशुतोष चतुर्वेदी
दिल्ली से सटे नोएडा से कुछ दिनों पहले खबर आयी कि घरेलू दाइयों, जिन्हें अंगरेजी में लोग ‘मेड' कहते हैं और ‘मैडम' लोगों में संघर्ष हो गया. यह अपने तरह की अलग घटना है. दाइयां घरों में काम करती रहती हैं. उनकी ओर न तो समाज का और न ही सरकारों का ध्यान जाता है. इन घरेलू सहायकों के बिना उच्च और मध्य वर्ग का जीवन कितना कठिन हो...
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