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ग्रामीण संकट: आठ सालों में पिछले साल मनरेगा के तहत नौकरियों की सबसे अधिक मांग रही

नई दिल्ली: मोदी सरकार के पिछले साल के आंकड़े दिखाते हैं कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत नौकरियों की मांग में बढ़ोतरी हुई है. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 2018-19 में 2017-18 की तुलना में काम की मांग में 10 फीसदी की बढ़ोतरी हुई. इसके साथ ही साल 2018-19 में साल 2010-11 के बाद से इस योजना के तहत व्यक्ति कार्य दिवस की सबसे अधिक संख्या दर्ज...

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निर्धारित लक्ष्य से पीछे चल रही प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, कवरेज भी घटा !

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का बजट-आबंटन अंतरिम बजट (2019-20) में घट गया है. एक तथ्य यह भी है कि फसल बीमा योजना पिछले दो सालों से अपने निर्धारित लक्ष्य को पूरा करने में नाकाम रही है. बजट-आबंटन घटने की एक वजह यह भी हो सकती है.   साल 2017-18 की बजट घोषणाओं के क्रियान्वयन की स्थिति बताने वाले दस्तावेज में कहा गया था कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना(पीएमएफबीवाय) की कवरेज सकल फसलित क्षेत्र...

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आंकड़े बताते हैं कि खेती में आमदनी दोगुनी करने का नारा जुमला ही रहने वाला है- रवीश कुमार

भारत में कार्य बल का 47 प्रतिशत कृषि से जुड़ा है. 2018-19 में कृषि, मत्स्य पालन, वनोपज की जीवीए [Gross Value Added] 2.7 हो गई है. 2017-18 में 5 प्रतिशत थी. एक साल में 46 प्रतिशत की यह कमी भयावह है. यह आंकड़े सेंट्रल स्टैटिस्टिक ऑफिस के हैं. खेती के मामले में इस साल का पिछले साल से तुलना करने में दिक्कत होती है क्योंकि 52 प्रतिशत खेती मानसून पर निर्भर...

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प्रति बूंद अधिक फसल योजना : दिन भर चले अढ़ाई कोस!

दो में दो को जोड़ने से हमेशा चार ही आये यह जरुरी नहीं- वह पांच..सात..दस कुछ भी हो सकता है. बात विचित्र लगती हो प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के अंतर्गत चलाये जा रहे ‘प्रति बूंद अधिक फसल' के आंकड़ों पर गौर कीजिए.   प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के डैशबोर्ड पर दिख रहा आंकड़ा बताता है कि ‘प्रति बूंद-अधिक फसल' कार्यक्रम के तहत वित्तवर्ष 2017-18 में 11.25 लाख हेक्टेयर जमीन माइक्रो-सिंचाई के अंतर्गत लायी गई...

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14 साल के सबसे निचले स्तर पर पहुंची कृषि आय

नई दिल्ली: केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय के आंकड़ों के मुताबिक कृषि क्षेत्र में उत्पादन अक्टूबर-दिसंबर 2018 में 2.7 फीसदी की दर से बढ़ा है. इस दौरान अक्टूबर से दिसंबर की तिमाही में ये वृद्धि दर पिछले 11 महीनों में सबसे नीचे रही. इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय के द्वारा जारी ये आंकड़े आधार वर्ष 2011-2012 पर आधारित हैं. इस दौरान ये अपने न्यूनतम स्तर 2.04 फीसदी तक भी आ पहुंचा...

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