सन् 1980 के पश्चात पूरे विश्व में उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण की ऐसी आंधी चली कि विश्व-व्यापार के सभी मानकों व मापदडों में आमूल-चूल परिवर्तन हो गया. अब किसी भी देश को यदि समृद्ध बनना था, तो यह न केवल महत्वपूर्ण था वरन अत्यावश्यक भी कि आप अपनी अर्थव्यवस्था को विश्व के साथ जोड़ें. इस हेतु भारत ने अनेक स्थानीय व्यवस्थाओं व विनियमनों में भारी परिवर्तन किये. यह अलग बात...
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मजदूर होने का मतलब- डा अनुज लुगुन
अभी कुछ दिन पहले ही कोलकाता में ओवरब्रिज के गिरने से 22 लोगों के मरने की खबर आयी थी. मरनेवालों में ज्यादातर मजदूर थे. इनमें से एक उत्तर प्रदेश निवासी शंकर पासवान भी था, जो मोटिया का काम करता था. वह होली में अपने घर इसलिए नहीं गया, ताकि वह कुछ दिन और काम करके बेटी की शादी के लिए कुछ पैसे जमा कर सके. यह हमारे देश के मजदूरों...
More »जहां मिलता है भूखों को मुफ्त भोजन
हमारे देश में दो तरह के लोग पाये जाते हैं. एक वे, जो खाते-खाते मर जाते हैं और दूसरे वे, जो खाये बिना मर जाते हैं. खाने की अमीरी और गरीबी की इसी खाई को पाटने की एक छोटी-सी कोशिश कर रही हैं एर्नाकुलम की मीनू पॉलिन. बैंक की नौकरी छोड़ कर दो साल पहले रेस्त्रां के व्यवसाय से जुड़ीं मीनू ने लोगों के सहयोग से भूखों को मुफ्त भोजन...
More »सफल नहीं होती शराबबंदी-- आकार पटेल
मशहूर समाजशास्त्री एमएन श्रीनिवास ने कहा था कि गौहत्या पर प्रतिबंध की तरह ही शराबबंदी भी एक सांस्कृतिक कार्य है. श्रीनिवास के मुताबिक, इन प्रतिबंधों के लिए जो भी औचित्य गिनाये जायें, लेकिन हकीकत में इसके पीछे ब्राह्मणवादी और सवर्णवादी सोच है. हमें आश्चर्यचकित नहीं होना चाहिए कि हमारे संविधान निर्माताओं ने एक ही दिन 24 नवंबर, 1948 को इन दोनों मुद्दों पर बहस की थी. मैं यहां यह तथ्य...
More »सौराष्ट्र-कच्छ में तरस रहे लोग, IPL के 4 मैचों में बहेगा 15 लाख लीटर पानी
अहमदाबाद। सौराष्ट्र और कच्छ में जहां एक ओर महिला-पुरुष और जानवर पानी के लिए भटक रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ, सौराष्ट्र क्रिकेट एसोशिएसन ने राजकोट में होने वाले आईपीएल के चार मैचों के दौरान स्टेडियम को हराभरा करने के लिए लाखों लीटर बहाने की तैयारी की है। गुजरात में भी महाराष्ट्र की तरह सूखा पड़ा हुआ है। सौराष्ट्र और कच्छ में स्थिति चिंताजनक है। यहां के तमाम डैम लगभग सूख गए...
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