पानी के रास्ते में दजर्नों अड़ंगे हैं, इसलिए वह बांध तोड़ रहा है। बाढ़ के प्रबंधन में कुव्यवस्था और कमीशनखोरी इतनी है कि राज्य और केंद्र की योजनाओं में जगह-जगह पर रिसाव देखा जा सकता है। डूब क्षेत्रों में लगातार रिहाइश बढ़ती जा रही है। ऐसे में, बाढ़ और उससे होने वाली तबाही का संकट घटे तो कैसे? जून से सितंबर के बीच बाढ़ का शोर सुनाई पड़ता है। जैसे-जैसे...
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रीढ पर चोट- प्रदीप सती
उत्तराखंड में आई हालिया प्राकृतिक आपदा ने प्रदेश की रीढ़ माने जाने वाले पर्यटन उद्योग पर बड़ी चोट की है जिससे हजारों लोगों के सामने आजीविका का संकट खड़ा हो गया है. प्रदीप सती की रिपोर्ट. एक-हरिद्वार में गंगोत्री टूर ऐंड ट्रैवल्स के नाम से कंपनी चलाने वाले अर्जुन सैनी ने लोन पर खरीदी गई अपनी तीन गाड़ियां सरेंडर कर दी हैं. चार धाम यात्रा बंद है और काम बस नाम...
More »सोनिया ने दिल्ली में खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम का शुभारंभ किया
नयी दिल्ली : संसद में खाद्य सुरक्षा विधेयक के पारित होने में हो रहे विलंब के बावजूद, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने आज पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के जन्म दिन के मौके पर दिल्ली में महत्वाकांक्षी खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम की शुरुआत की और इसे विश्व की अद्वितीय योजना करार दिया. यह योजना कांग्रेस शासित तीन राज्यों दिल्ली, हरियाणा और उत्तराखंड में शुरु की गई है. हालांकि कोलगेट संबंधी गुम फाइलों...
More »भगत सिंह सरकारी रिकॉर्ड में शहीद नहीं, आरटीआई के जरिए हुआ नया खुलासा
नई दिल्ली. केंद्र सरकार के रिकॉर्ड में शहीद भगत सिंह को औपचारिक तौर पर शहीद का दर्जा नहीं है। यह जानकारी आरटीआई में गृह मंत्रालय ने दी है। भगत सिंह के पोते (भाई के पोतेे) यादवेंद्र सिंह ने आरटीआई में सूचना मांगी थी। यादवेंद्र सिंह ने बताया कि अप्रैल में आरटीआई के माध्यम से उन्होंने स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को शहीद घोषित किए जाने के बारे में जानकारी मांगी थी। मई...
More »रावणा तोंडी रामायण- अनुपम मिश्र
जनसत्ता 1 अगस्त, 2013: ये दो बिलकुल अलग-अलग बातें हैं- प्रकृति का कैलेंडर और हमारे घर-दफ्तरों की दीवारों पर टंगे कैलेंडर, कालनिर्णय या पंचांग। हमारे संवत्सर के पन्ने एक वर्ष में बारह बार पलट जाते हैं। पर प्रकृति का कैलेंडर कुछ हजार नहीं, लाख-करोड़ वर्ष में एकाध पन्ना पलटता है। इसलिए हिमालय, उत्तराखंड, गंगा, नर्मदा आदि की बातें करते समय हमें प्रकृति के भूगोल का यह कैलेंडर कभी भी भूलना नहीं...
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