* जनसंख्या की वृद्धि दर 23 फीसदी, मनोरोगियों की 116 फीसदी रांची : झारखंड में पिछले 11 सालों में मनोरोगियों की संख्या में पांच गुना से अधिक की वृद्धि हुई है. मनोरोगियों की वृद्धि दर 116 फीसदी के करीब है. यह राज्य की जनसंख्या वृद्धि दर से पांच गुना अधिक है. पुरुष मनोरोगियों की संख्या में वृद्धि दर पांच गुना से कुछ नीचे है. जबकि महिला मनोरोगियों में यह दर सात गुना से...
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एक बालिका वधू की दास्तान- जाहिद खान
हमारे देश में हर साल अक्षय तृतीया यानी तीज के दिन हजारों नाबालिग लड़कियां शादी के मंडप में पहुंचा दी जाती हैं। इन लड़कियों के मां-बाप उनकी मर्जी को जाने बिना उन्हें जबरन शादी के बंधन में बांध देते हैं। कई मामलों में इसकी सजा ये लड़कियां पूरी उम्र भुगतने को बाध्य होती हैं। बाल विवाह न केवल उनकी जिंदगी के लिए अभिशाप बन जाता है, बल्कि हमारे समाज के...
More »एक बच्चे की कहानी, जो झकझोर देती है अंतर्राष्ट्रीय जर्नलिस्ट की आत्मा!
मुंबई. गरीबी पर 2005 की वर्ल्ड बैंक रिपोर्ट के मुताबिक भारत की कुल आबादी का 47.6% हिस्सा गरीबी रेखा के अंतर्राष्ट्रीय मानक से नीचे का जीवन जीने को मजबूर है. इसी तरह 2010 की UNDP रिपोर्ट बताती है कि देश की 37.2% आबादी गरीबी रेखा के राष्ट्रीय स्तर से नीचे का जीवन गुजर करती है. इस स्थित को देश के लगभग 6 करोड़ उन नौनिहालों को भी झेलना पड़ता है जिन पर...
More »झारखंड: संगीनों पर सुरक्षित गांव- चंद्रिका की रिपोर्ट
यह उन लोगों की कहानियां हैं, जो आजादी, इंसाफ और शांति के साथ जीना चाहते हैं. अपने गांव में खेतों में उगती हुई फसल, अपने जानवरों, अपनी छोटी-सी दुकान और अपने छोटे-से परिवार के साथ एक खुशहाल जिंदगी चाहते हैं. लेकिन यह चाहना एक अपराध है. अमेरिका, दिल्ली और रांची में बैठे हुक्मरानों ने इसे संविधान, जनतंत्र और विकास के खिलाफ एक अपराध घोषित कर रखा है. उनकी फौजें गांवों...
More »छुआछूत अब भी जारी है....
अनदेखी और उपेक्षा के बीच छुआछूत का बरताव जारी है और देश में अस्पृश्यता की समस्या मौजूद है। यह लाखों लोगों के लिए उम्र भर दुःख और अपमान के बीच रहने और जीने का मामला है। इसकी कल्पना बरतर सामाजिक हालातों में जीने वाले नहीं कर सकते लेकिन जैसा कि गुजरे 14 अप्रैल, 2012 से शुरु हुए अनुच्छेद 17 अभियान के अंतर्गत इंडिया अनहर्ड द्वारा जारी 22 छोटे और आसानी...
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