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सारंडा जंगल में सुरक्षा बलों का अभियान रुका

नई दिल्ली [जागरण न्यूज नेटवर्क]। सुरक्षा बलों के जारी अभियान में शनिवार को पश्चिम बंगाल में जवानों की नक्सलियों से मुठभेड़ हुई। इस मुठभेड़ में एक व्यक्ति मारा गया है। जबकि झारखंड में सारंडा के जंगल में सुरक्षा बलों का जारी अभियान शनिवार को रुक गया। नक्सल प्रभावित पश्चिम मेदिनीपुर जिले के ग्वालतोड़ थाना क्षेत्र के भालुकबासा में शनिवार की सुबह से शाम छह बजे तक सुरक्षा बलों और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ चली। शुरू...

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दिल्ली के पब्लिक स्कूलों में पढ़ेंगे 40 फीसदी गरीब

नई दिल्ली [विभूति कुमार रस्तोगी]। शिक्षा अधिकार कानून [आरटीई एक्ट] लागू होने के बाद राजधानी दिल्ली के सभी पब्लिक स्कूलों को दाखिले में गरीब और वंचित बच्चों के लिए 25 फीसदी का अतिरिक्त कोटा रखना पड़ेगा। ऐसा हाल ही में लागू किए गए शिक्षा के अधिकार कानून के चलते हुआ है। दरअसल शिक्षा के अधिकार कानून में 6 से 14 साल तक के बच्चों को घर के पास स्थित सरकारी और निजी स्कूलों में पूरी तरह...

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इसे कहते हैं पत्थर पर दूब उगाना

डोरीगंज, सारण [श्रीराम तिवारी]। अगर मन में हौसला हो तो कुछ भी असंभव नहीं है। विजय किशोर चौरसिया इसके प्रत्यक्ष उदाहरण हैं। विपरीत मौसम में देसी तकनीक के सहारे मशरूम का उत्पादन कर वे किसानों के रोल माडल बन गए है। सारण के सदर प्रखंड अंतर्गत भैरोपुर निजामत गांव निवासी यह किसान 40 डिग्री सेल्सियस से ऊपर तापमान में प्रतिदिन चार से पांच किग्रा मशरूम का उत्पादन कर रहा है। विजय की इस सफलता पर कृषि...

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महंगाई के खिलाफ खोखली पहल

नई दिल्ली [घनेंद्र सिंह सरोहा]। आईपीएल, सानिया की शादी और मोदी-थरूर विवाद के बीच बीते दिनों एक खबर महंगाई पर भी आई थी। अक्सर विपक्ष कहता है कि मीडिया हमेशा बुनियादी मुद्दों को छोड़ ग्लैमरस चीजों के पीछे भागता है। तो मंहगाई पर कटौती प्रस्ताव लाने वाला विपक्ष संसद में शशि थरूर और उनकी महिला मित्र सुनंदा के बीच कौन-सा बुनियादी मुद्दा ढूंढ़ रहा है। यहा विपक्ष या मीडिया की गलतिया ढूंढ़ने का इरादा...

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शहरी सरहद से निकल गाव में जमाया पाव

वाराणसी। दस लाख का सालाना पैकेज और उच्च पद। युवा मन इस लुभावने प्रस्ताव पर मचल सकता था लेकिन अपना देश, अपनी बिरासत किसी से कम थोड़े होती है। सोच में धवलता हो, नीयत में ईमानदारी हो और लगन कूट-कूटकर भरी पड़ी हो तो जाने कितने ऐसे पैकेजों से आगे निकला जा सकता है। धवलप्रकाश की यही सोच उन्हें अपनी माटी से जोड़े रही और सफलता के सोपान हासिल करती रही। कोई चौबीस साल...

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