जनसत्ता 23 मई, 2014 : इन चुनाव परिणामों ने स्पष्ट कर दिया कि नरेंद्र मोदी अपने दल से बड़े हैं। वे मालवा की इस कहावत के चरितार्थ हैं कि‘दस हाथ की कंकड़ी में बीस हाथ का बीज’। उनके ऐसा ‘वैराट्य’ ग्रहण करते ही उनका दल छिलके की तरह नीचे गिर गया है। वे स्वयंसिद्ध सत्ता की उस धार में बदल चुके हैं, जिसे अब दल की पुरानी आडवाणी-अटल छाप म्यान...
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वाम के लिए सबक- अरुण माहेश्वरी
जनसत्ता 21 मई, 2014 : सोलहवीं लोकसभा के चुनाव में नरेंद्र मोदी और भाजपा की भारी लेकिन एक प्रकार से प्रत्याशित जीत ही हुई है। चुनाव प्रचार के दौरान ही इसके सारे संकेत मिलने लगे थे। फिर भी हमारे इधर के कई मंतव्यों से यह साफ है कि हम सामने दिखाई दे रहे इस सच को संभवत: समझ या स्वीकार नहीं पा रहे थे। हालांकि हमने ही अपनी एक टिप्पणी...
More »एक दिल्ली और दो 'जन्तर-मन्तर'- अलका आर्य
हाल ही में मैं दिल्ली की तपती गर्मी को पीठ दिखाते हुए संसद से कुछ ही फासले पर स्थित जंतर-मंतर गई तो मन में पहला सवाल यही उठा कि क्या यह वही स्थान है, जहां 16 दिसंबर 2012 को हुए निर्भया गैंगरेप कांड के बाद भारी संख्या में लोगों ने लगातार कई दिनों तक सरकार व व्यवस्था के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए महिलाओं की सुरक्षा के मुद्दे पर दुनिया का...
More »आखिर क्यों स्कूली शिक्षा नहीं बनती मुद्दा- चंद्रभान प्रसाद
पिछले वर्ष सर्दियों में मैंने पूर्वी उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले के एक दलित गांव का दौरा किया। यह गांव सागरी तहसील के मालतरी से थोड़ी ही दूर पर बसा है। यहां की एक महिला की दास्तान सुनकर हम दंग रह गए। दरअसल वह अपनी बेटी का दाखिला पास के एक हाई स्कूल में छठी कक्षा में कराना चाहती थी, पर स्कूल प्रबंधन ने इन्कार कर दिया। वजह, लड़की अपना नाम...
More »एकल महिलाओं को बचत, ऋण, व्यवसाय का गुर सिखाता है दीदी बैंक- राधेश सिंह राज
सरकार की सारी योजनाओं के लाभ को दरकिनार करते हुए खुद को साबित करने के उद्देश्य से नवचिराग महिला समिति के कार्य एकल महिलाओं के समक्ष मॉडल साबित हो रहा है. आज की तिथि में न सिर्फ पूरे झारखंड राज्य बल्कि देश की एकल महिलाओं के समक्ष उदाहरण बन कर पेश हो रही है. नवसृजित आनंदपुर प्रखंड के पृथक होने से पूर्व आनंदपुर प्रखंड की महिलाओं ने नव चिराग महिला समिति...
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