बिहार के मगध क्षेत्र में इंसेफलाइटिस पिछले तीन महीने से अमूमन हर रोज एक बच्चे की जान ले रहा है. जो बच्चे बच जा रहे हैं उन्हें बाकी जिंदगी अपंगताओं के साथ गुजारनी होगी. लेकिन इलाके के जनप्रतिनिधि, शासन-प्रशासन और कथित समाजसेवी संस्थाएं आंखें मूंदे बैठे हैं. निराला की रिपोर्ट पिंकी की उम्र आठ-नौ साल होगी. गया-पटना रोड पर स्थित रसलपुर गांव की रहने वाली है. उसके सामने जाते ही उसकी...
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संभावना का परिसर
जनसत्ता 18 दिसंबर, 2011 : बहुत दिनों से जलगांव में बन रहे ‘गांधी शोध संस्थान’ के बारे में सुन रहा था। इसे देखने-समझने और जो लोग इसके पीछे हैं उनसे मिलने की इच्छा और उत्सुकता थी। पर मैं इन लोगों को नहीं जानता था, इसलिए संकोच होता था। पर आखिरकार जलगांव जाने का मौका मिल ही गया। वहां एक बडेÞ उद्योगपति हैं भंवरलाल जैन, जिन्होंने टपक-सिंचाई (ड्रिप इरिगेशन) के क्षेत्र में...
More »छह वर्ष की उम्र से पहले बच्चों की स्कूली शिक्षा शुरू नहीं हो :सिब्बल
नयी दिल्ली, 14 दिसंबर (एजेंसी) छह वर्ष की उम्र से पहले बच्चों की स्कूली शिक्षा शुरू नहीं होने की वकालत करते हुए मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने पूरे देश में नर्सरी में दाखिले की उम्र में एकरूपता लाने के लिए संसद से पहल करने और राज्य सरकारों से सहयोग की अपील की। लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान गुथा सुखेन््रद रेड्डी और अन्य सदस्यों के सवाल के जवाब में सिब्बल...
More »अमीरी रेखा की जरूरत- सुनील
जनसत्ता 12 दिसंबर, 2011 : कुछ माह पहले जब योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने सर्वोच्च न्यायालय में हलफनामा दिया कि शहरों में बत्तीस रु. और गांवों में छब्बीस रु. प्रतिदिन खर्च करने वालों को गरीबी रेखा से ऊपर माना जाएगा, तो देश के संभ्रांत पढ़े-लिखे लोगों में और मीडिया में खलबली मच गई। अहलूवालिया से लेकर जयराम रमेश तक को सफाई में बयान देने पडे। उन्होंने यह...
More »विकास का विद्रूप- सुनील
राहुल गांधी ने पिछले दिनों उत्तर प्रदेश के नौजवानों को फटकारते हुए जब कहा कि कब तक महाराष्ट्र में भीख मांगोगे और पंजाब में मजदूरी करोगे, तो कई लोगों को यह बात नागवार गुजरी। उनकी भाषा शायद ठीक नहीं थी। आखिर देश के अंदर रोजी-रोटी के लिए लोगों के एक जगह से दूसरी जगह जाने को भीख मांगना तो नहीं कहा जा सकता। वे अपनी मेहनत की रोटी खाते हैं, भीख या...
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