लाखों महिलाएं, पुरुष और बच्चे आज भी उन अपमानजनक सामाजिक बेड़ियों में बंधे हुए हैं, जो उनके जन्म से ही उन पर लाद दी गई थीं। आधुनिकता की लहर के बावजूद आज भी भारत के दूरदराज के देहातों में जाति व्यवस्था जीवित है। यह वह व्यवस्था है, जो किसी व्यक्ति के जाति विशेष में जन्म लेने के आधार पर ही उसके कार्य की प्रकृति या उसके रोजगार का निर्धारण कर...
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भट्टा-परसौल कांड: एनएचआरसी की रिपोर्ट में पुलिस दोषी
नोयडा। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की शुरुआती रिपोर्ट में यूपी पुलिस को दोषी पाया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि यूपी पुलिस ने संघर्ष के दौरान किसानो और महिलाओं के साथ ज्यादती की थी।गौरतलब है कि भट्टा पारसौल गांव में मंगलवार को मानवाधिकार आयोग की ६ सदस्यीय टीम पहुंची और ग्रामीणों से गहनता से जांच पड़ताल की थी। टीम ने धरना स्थल और बिटोरों की राख का मुआयना करने के बाद...
More »किसे आवाज दें- जयप्रकाश त्रिपाठी(तहलका)
पप्पू जायसवाल गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज के इमरजेंसी वार्ड में पड़े हैं. कमर में गोली लगने से गंभीर रूप से घायल यह शख्स अब अपने बच्चों का पेट पालने के लिए शायद ही पहले की तरह मजदूरी कर पाए. जायसवाल की अनपढ़ पत्नी संगीता और उनके रिश्तेदार हर आने-जाने वाले से बस एक ही सवाल करते हैं, 'क्या मजदूर को अपने हक की बात करने का कोई अधिकार नहीं?'...
More »किसान-पुलिस संघर्ष की न्यायिक जांच हो
ग्रेटर नोएडा। कांग्रेस ने बुधवार को मांग की कि दिल्ली के समीप स्थित एक गांव में एक्सप्रेसवे विकास परियोजना के लिए जमीन अधिग्रहण करने के कारण किसानों एवं पुलिस के बीच हुए हिंसक संघर्ष की न्यायिक जांच करवाई जाए। कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने भट्टा पारसौल गांव में संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि हमारी मांग स्पष्ट हैं। हम चाहते हैं कि इस घटना की जांच सेवानिवृत्त न्यायाधीश से करवाई...
More »आंदोलन के बाद उठे सवाल : महेश रंगराजन
भ्रष्टाचार के विरुद्ध अन्ना हजारे के आंदोलन ने जनता के मन में जगह बना ली और सरकार को लोकपाल विधेयक के संबंध में चुस्ती-फुर्ती दिखानी पड़ी। सार्वजनिक जीवन में भ्रष्टाचार और उसे नियंत्रित करने के श्रेष्ठ तरीकों के बारे में सक्रिय बहस जारी है। अन्ना के अहिंसक आंदोलन ने युवाओं और आमतौर पर गैरराजनीतिक रुझान रखने वाले मध्यवर्ग को भी प्रभावित किया। यह भी उल्लेखनीय है कि नए विधेयक की प्रक्रियाएं...
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