बहुत थोड़ी होती है पांच साल की अवधि फिर भी नरेगा की उपलब्धियां आवाक कर रही हैं। देश के सर्वाधिक गरीब में शुमार लोगों में से तकरीबन दस करोड़ ने बैंक या फिर पोस्ट-ऑफिस में बैंक अकाऊंट खोले हैं, लोग अपना अधिकार समझकर काम मांग रहे हैं, हजारों गांवों में कुएं-तालाब और ऐसे ही सामुदायिक इस्तेमाल के कई संसाधन तैयार हो रहे हैं, औरत हो या मर्द- दोनों को बराबर के काम के लिए बराबर की...
More »SEARCH RESULT
बीच बहस में न्यूनतम मजदूरी
हालांकि केंद्र सरकार ने मनरेगा के अन्तर्गत दी जाने वाले मजदूरी को उपभोक्ता मूल्य सूचकांक से जोड़ने की बात मान ली है, फिर भी वह इस मामले में संविधानप्रदत्त न्यूनतम मजदूरी देने में संकोच कर रही है जबकि देश के कई सूबों में अब भी मनरेगा के अन्तर्गत दी जाने वाली मजदूरी न्यूतम मजदूरी से कम है। सरकार का तर्क है कि न्यूनतम मजदूरी दी गई तो बढ़ा हुआ वित्तीय...
More »कुपोषण की चपेट में सहरिया जनजाति के नौनिहाल-एएचआरसी
परंत, राजवीर, रामकुमारी,सन्नी- ये नाम घनघोर कुपोषण में दम तोड़ने वाले बच्चों के हैं। 3 साल या फिर इससे भी कम उम्र के सभी बच्चे मध्यप्रदेश के शिवपुरी जिले गांवों में आबाद सहरिया जनजाति के हैं। आशिक, कुलदीप,पवन और मालती जैसे कुछ बच्चे और हैं, ये भी सहरिया जनजाति के ही हैं और कुपोषण की चपेट में इनका भी दम किसी क्षण टूट सकता है।(देखें लिंक संख्या-1) मानवाधिकारों के मोर्चे पर...
More »मनरेगा में फर्जी भुगतान
जागरण ब्यूरो, जबलपुर। जबलपुर। महात्मा गाधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना में आए दिन अनियमितताएं उजागर हो रही हैं। पनागर जनपद की वीरनेर पंचायत में मनेरगा में कई फर्जी लोगों के नाम जॉब कार्ड बनवाने के बाद मजदूरी निकाले जाने का मामला सामने आया है। पंचायत के सचिव किशोरीलाल का आरोप है कि उनके नाम पर 108 दिन की मजदूरी दर्ज है, जबकि उसने एक दिन भी काम नहीं किया।...
More »मजदूर के लिए खून
मनरेगा व बिहार में नीतीश सरकार के आ जाने के बाद जिस तरीके से मेहनत मजदूरी करने आए लोगों की घर वापसी हो रही है, उससे पंजाब में आई मजदूरों की कमी के चलते, अब मजदूरों के लिए हत्या तक होने लगी है। कुछ ऐसा ही मामला जिला गुरदासपुर के सीमावर्ती गांव पड्डा में सामने आया, जहां एक मजदूर पर अपना-अपना मालिकाना हक जताने के लिए हुई जंग में...
More »