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नरेगा विरोध का 34वां दिन: राजस्थान के नरेगा मज़दूरों ने साझा की परेशानियां

29 मार्च, नई दिल्ली जंतर-मंतर पर नरेगा मजदूरों के 100 दिवसीय धरने का आज 34वां दिन रहा। धरने में शामिल मज़दूरों ने आज भी अपनी शिकायतों को व्यक्त किया और अपने अधिकारों की मांग को उठाया। राजस्थान से आये नरेगा मज़दूरों ने कई पहलुओं के संबंध में केंद्र सरकार की ओर से प्रतिक्रिया या शिकायत निवारण की कमी को उजागर करते हुए धरने से पहले अपने संघर्षों को रखा। धरने पर बैठने के दौरान...

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बेमौसम बारिश के बावजूद गेहूं का होगा रिकॉर्ड उत्पादन: अधिकारियों का दावा

सरकारी अधिकारियों ने दावा किया है कि देश के कई हिस्सों में हो रही बेमौसम बारिश और ओले गिरने के बावजूद गेहूं के उत्पादन पर असर नहीं पड़ेगा। गौरतलब है कि 3 मार्च, 2023 से भारत के कई राज्यों में बारिश और ओलावृष्टि ने फसलों को भारी नुकसान पहुंचाया है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के अनुसार, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, झारखंड, बिहार, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, पंजाब, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात,...

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गन्ना फसल में पानी की खपत भारत के इथेनॉल लक्ष्य को प्राप्त करने में बड़ी चुनौती

29 मार्च, मोंगाबे हिंदी पिछले साल 2 नवंबर को, केंद्र ने अपने इथेनॉल सम्मिश्रण कार्यक्रम (ईबीपी) के तहत 1 दिसंबर, 2022 से 31 अक्टूबर, 2023 तक विभिन्न गन्ना-आधारित कच्चे माल से प्राप्त इथेनॉल के लिए नई उच्च कीमतों को मंजूरी दी थी। यह इथेनॉल आपूर्ति वर्ष मौजूदा चीनी सीजन के साथ मेल खाता है। केंद्र सरकार की आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमेटी ने इस उच्च कीमत को मंजूरी देते हुए अपनी...

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सालाना 50 फीसदी की दर से नष्ट हो रहे हैं पहाड़ी जंगल, खतरे में जैव विविधता: अध्ययन

डाउन टू अर्थ, 28 मार्च  दुनिया के 85 फीसदी से अधिक पक्षी, स्तनपायी और उभयचर प्रजातियां पहाड़ी जंगलों में रहते हैं, लेकिन ये जंगल तेजी से गायब हो रहे हैं। अध्ययन के मुताबिक दुनिया भर में, 2000 के बाद से 7.81 करोड़ हेक्टेयर यानी 7.1 फीसदी पहाड़ी जंगल गायब हो गए है। अधिकांश नुकसान उष्णकटिबंधीय जैव विविधता हॉटस्पॉट में हुआ है, जिससे संकटग्रस्त प्रजातियों पर दबाव बढ़ रहा है। 21वीं सदी की...

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सोना खनन में लगे 40 लाख से ज्यादा महिलाएं और बच्चे खतरे की कगार पर: अध्ययन

डाउन टू अर्थ, 27 मार्च छोटे स्तर पर सोना खोजने और निकालने के लिए जहरीले पारे का उपयोग किया जाता रहा है, जिससे इससे जुड़े लोगों के स्वास्थ्य को भारी खतरा होता है। जबकि इसकी रोकथाम को लेकर मिनामाटा कन्वेंशन नामक एक वैश्विक संधि भी है, जिसमें सोने के खनन वाले देशों को नियमित रूप से जहरीले पारे की मात्रा के उपयोग की जानकारी देनी होती है। यह संधि देशों को...

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