अन्ना हजारे और बाबा रामदेव के आंदोलन के बाद देश में वैकल्पिक राजनीति की जरूरत पर नई बहस छिड़ी है। इसका स्वागत होना ही चाहिए, पर राजनीति तो राजतंत्र के जमाने की चीज है। उसकी लोकतंत्र में कोई जगह होनी ही क्यों चाहिए? जब हमने वैकल्पिक राजनीति की बात शुरू की है, तो क्यों न लोकनीति की बात करें? राजनीति का ककहरा सत्ता और अधिकारों की बंदरबांट से शुरू होता...
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अगवा बचपन, बंधुआ बचपन- प्रियंका दुबे की रिपोर्ट(तहलका)
क्या हम जो खा रहे हैं उसे दिल्ली से अगवा बच्चे आस-पास के इलाकों में बंधुआ मजदूर बनकर उगा रहे हैं? प्रियंका दुबे की रिपोर्ट. दिल्ली में जहांगीरपुरी की एक झुग्गी बस्ती में रहने वाला 14 साल का महेंद्र सिंह सात अगस्त, 2008 की सुबह रोज की तरह घर से शौच के लिए निकला था. इसके बाद उसका कुछ पता नहीं चला. घरवालों ने उसे तलाशने की न जाने...
More »पवार की नाराजगी की वजह 26 हजार करोड़ का घोटाला?
नई दिल्ली.यूपीए की सहयोगी पार्टी एनसीपी और कांग्रेस के बीच खींचतान जारी है। शनिवार को मुंबई में पार्टी के नेता बैठक कर रहे हैं तो दिल्ली में पार्टी के नेता डीपी त्रिपाठी ने प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह से मुलाकात की। एनसीपी ने एक बार फिर साफ किया है कि वह यूपीए का हिस्सा बनी रहेगी। मुंबई एयरपोर्ट पर मीडिया से बात करते हुए पार्टी के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय भारी उद्योग...
More »बात आदर्श विधायिका की- ।।हरिवंश।।
टाइम ’ में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर छपे लेख ‘द अंडरएचीवर ’ पर पूरी भारतीय राजनीति में तीखी बहस हुई. पर इसी लेख में एक अत्यंत महत्वपूर्ण टिप्पणी हैं. भारतीय संसद पर. दरअसल, भारतीय राजनीति में संवेदना, चरित्र और सिद्धांत शीर्ष होते, तो बवाल या बवंडर इस अंश पर होना चाहिए था. यह टिप्पणी सब पर है, पक्ष-विपक्ष समेत पूरी राजनीति पर. संसद कितना कामकाज करती है? गुजरे सत्र में सिर्फ...
More »ब्राजील की झुग्गियों में हुए भारत के दर्शन
भारत और ब्राजील दोनो विकासशील देश हैं और कई मामलों में दोनो देशों में कई समानताएँ हैं. ब्राज़ील के रियो दी जनेरो शहर में कोपाकबाना और इपानेमा इलाकों के बीच में स्थित है कांटागालो हिल इलाका जहां तक पहुंचने के लिए लिफ्ट है. इस झुग्गी-झोपड़ी इलाके तक पहुंचने का ये नया साधन है. यहाँ भारतीय लेखक सुकेतु मेहता भी पहुँचे. लिफ़्ट से इस इलाके का जायज़ा कर रहे मेहता कहते हैं, "अगले पांच-दस...
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