‘खेतों और फैक्टरियों में काम करने वाले हर मजदूर और कामगार को कम से कम इतना अधिकार तो है ही कि वह इतनी मजदूरी पाए कि अपना जीवन सुख-सुविधा से बिता सके..।’ वर्ष 1929 के लाहौर अधिवेशन में अध्यक्षीय भाषण दे रहे जवाहरलाल नेहरू ने यह बात कही थी। इसके नौ दशक बाद स्वतंत्र भारत की केंद्र सरकार ने कहा कि लोककार्य के लिए कानून द्वारा स्थापित न्यूनतम मजदूरी का भुगतान...
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आंकड़ों की खेती से नहीं निकलेंगे परिणाम
रांची : यह आयोजन समेकित व समावेशी विकास के लिए है. विकास कार्यक्रम बनें व इनमें इनपुट ही सही न हो, तो काम ठीक नहीं हो सकता. दूसरी बात कि आंकड़ों की खेती से परिणाम नहीं निकलेंगे. कृषि क्षेत्र पर सबने चिंता जाहिर की है. राज्य के अधिकतर लोगों के जीवनयापन से जुड़ा यह क्षेत्र है, लेकिन यहां पलायन व अन्य समस्याएं हैं. अब लोगों के सुझाव से वास्तविकता के साथ...
More »काले धन को राष्ट्रीय संपत्ति घोषित करें: बाबा रामदेव
यवतमाल. देश की जनता दरिद्रता, बीमारी, भूख, कुपोषण से पीड़ित है। सभी तरह से बेहाल है फिर भी देश के नेताओं ने जनता को चूस-चूसकर भ्रष्टाचार के माध्यम से थोड़ा नहीं बल्कि 4 लाख करोड़ रु. का काला धन विदेशी बैंक में जमा कर रखा है। इस काला धन को राष्ट्रीय संपत्ति घोषित कर देश में लाना जरूरी है। इस राष्ट्रीय संपत्ति का उपयोग करने से देश सिर्फ बलवान ही नहीं...
More »आम बजट 2011-12: खास-खास बातें
नई दिल्ली। देश की अर्थव्यवस्था के वैश्विक आर्थिक संकट से पूर्व की स्थिति में पहुंचने का जिक्र करते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने सोमवार को लोकसभा में वित्त वर्ष 2011-12 के लिए आम बजट पेश करते हुए भाषण की शुरुआत की। अपने शुरुआती भाषण में मुखर्जी ने कहा, 'हम उच्च विकास और चुनौतियों से भरपूर एक महत्वपूर्ण वर्ष के अंत में है। वर्ष 2010-11 में विकास दर अच्छी रही। अर्थव्यवस्था...
More »बीच बहस में न्यूनतम मजदूरी
हालांकि केंद्र सरकार ने मनरेगा के अन्तर्गत दी जाने वाले मजदूरी को उपभोक्ता मूल्य सूचकांक से जोड़ने की बात मान ली है, फिर भी वह इस मामले में संविधानप्रदत्त न्यूनतम मजदूरी देने में संकोच कर रही है जबकि देश के कई सूबों में अब भी मनरेगा के अन्तर्गत दी जाने वाली मजदूरी न्यूतम मजदूरी से कम है। सरकार का तर्क है कि न्यूनतम मजदूरी दी गई तो बढ़ा हुआ वित्तीय...
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