गरीबी: सभ्य समाज के इस सबसे बड़े अभिशाप को राष्ट्रपिता गांधी जी ने हिंसा का सबसे खराब रूप कहा। करेला उस पर नीम चढ़ा कि स्थिति यह कि गरीबों को 'गरीब' न मानना। हमारे हुक्मरानों ने गरीबों की नई परिभाषा गढ़ी है। अगर आप शहर में रहकर 32 रुपये और गांव में रहकर 26 रुपये प्रतिदिन से अधिक खर्च कर रहे हैं तो आप गरीब नहीं है। खुद को गरीब मानते...
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किसानों की महापंचायत ने दी चेतावनी
नोएडाः नोएडा के किसानों की एक महापंचायत ने अधिग्रहण के बाद विकसित भूमि के पांच फ़ीसद हिस्से को लौटाने के लिए प्रशासन को पांच और दिनों की मोहलत देते हुए धमकी दी है कि यदि प्राधिकरण उनकी मांगों को नहीं पूरा करता है तो आवासीय परियोजनाओं पर काम रोक दिया जाएगा. नोएडा एक्सप्रेसवे से लगे गांवों के किसानों की बैठक में किसान अपनी मांगों को लेकर 31 जुलाई की तिथि तय...
More »बिहार: सांसद के बंगले पर गोलीबारी, 3 मरे
भोपाल। सहकारिता मंत्री गौरीशंकर बिसेन ने बुधवार को विधानसभा में स्वीकार किया कि प्रदेश में किसानों की कर्ज माफी और ऋण राहत में 100 करोड़ से अधिक की गड़बड़ी हुई। होशंगाबाद जिले में 34 फर्जी खाते तैयार कर फर्जी हितग्राहियों को ऋण माफी देने का मामला भी सामने आया है। 2008 में उजागर हुए इस घपले की जांच में 2080 कर्मी दोषी पाए गए हैं। इनमें से 1069 को नोटिस दिए...
More »उपेक्षित रही है पहाड़ की खेती: राधा भट्ट
पहाड़ की खेती सदा उपेक्षित रही है। कड़ी मेहनत के बावजूद यहां के काश्तकारों के लिए खेती लाभकारी नहीं बन सकी। यह बात गांधी शांति प्रतिष्ठान नई दिल्ली की अध्यक्ष राधा भट्ट ने कही। सुश्री भट्ट विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के 88वें स्थापना दिवस पर बतौर मुख्य अतिथि बोल रहीं थीं। उन्होंने कहा कि यही कारण है कि पहाड़ का काश्तकार का परिवार पलायन करता आया है। एक तो...
More »असल संत की अंत कथा- आशीष खेतान और मनोज रावत
गंगा को लेकर संतों और खनन माफिया के बीच छिड़ी लड़ाई में उत्तराखंड की भाजपा सरकार ने एक नहीं बल्कि बार-बार और खुल्लमखुल्ला खनन माफिया का साथ दिया है. स्वामी निगमानंद की मौत के पीछे का सच सामने लाती आशीष खेतान और मनोज रावत की विशेष पड़ताल बाबा रामदेव को ध्यान खींचने की कला आती थी. स्वामी निगमानंद के पास यह हुनर नहीं था. इसलिए एक ओर रामदेव विदेशों में जमा...
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