राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) की दशा ठीक नहीं है। अधिनियम को लागू हुए दो साल होने को आये लेकिन कुछ ही राज्य इसपर अमल कर पाये हैं। बाकी राज्य अब भी पात्र परिवारों की पहचान, सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के सुधार तथा अन्य तैयारियों से जूझ रहे हैं। तो भी, हाल के सबूतों से संकेत मिलते हैं कि कुछ राज्य अधिनियम को बेहतर ढंग से लागू कर पाये...
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2014-15 में खाद्यान्न उत्पादन 4.66 फीसदी घटा
कमजोर मानसून एवं फरवरी-मार्च में बेमौसम बरसात के चलते भारत का खाद्यान्न उत्पादन 2014-15 फसल वर्ष में अनुमानित 4.66 प्रतिशत घटकर 25 करोड़ 26 लाख व 80 हजार टन रहा। फसल वर्ष 2013-14 (जुलाई-जून) में देश में खाद्यान्न की पैदावार 26 करोड़ 50 लाख 40 हजार टन रहा था। खाद्यान्न भंडार में मुख्य हिस्सा गेहूं, चावल, मोटे अनाज और दालों का होता है। एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि देश...
More »किसानों की खुदकुशी के सबब- विनोद कुमार
जरा गौर कीजिए कि इसी देश में करीब अठारह-बीस करोड़ भूमिहीन दलित, अति पिछड़े मजूर हैं। उनके जीवन में यह मौका ही नहीं आता कि वे बैंक से कर्ज लें, खेती करें, उनकी फसल नष्ट हो और वे आत्महत्या कर लें। इसका अर्थ यह नहीं कि हम किसानों की आत्महत्या से पीड़ा का अनुभव नहीं करते। लेकिन इस बात को समझना तो होगा कि एक भूमिहीन किसान या मजूर आत्महत्या न...
More »आयात शुल्क बढ़ने से महंगा हो सकता है गेहूं
नई दिल्ली। सरकार गेहूं आयात पर 10 प्रतिशत शुल्क लगाएगी, जो अगले साल 31 मार्च तक लागू रहेगा। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शुक्रवार को संसद में यह जानकारी दी। देश में भरपूर स्टॉक होने के बाद भी गेहूं आयात करने की वजह से सरकार ने यह कदम उठाया है। इससे गेहूं महंगा होने की संभावना बढ़ गई है। हाल के महीनों में बड़े पैमाने पर गेहूं की खरीद होने के...
More »खेती का खेल निराला मेरे भइया- राजेन्द्र तिवारी
देश के करीब 75 फीसदी परिवार कृषि क्षेत्र पर निर्भर हैं. देश की लगभग 70 प्रतिशत गरीब आबादी (विश्व बैंक के मुताबिक 77 करोड़ लोग) गांव में बसती है. लेकिन देश के जीडीपी में कृषि का हिस्सा लगातार गिरता जा रहा है. 50 के दशक में कृषि की हिस्सेदारी हमारी जीडीपी में 50 फीसदी से ज्यादा थी, 90 के दशक में यह 20 से 30 फीसदी रह गया और 2013-14...
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