संसद का सत्र खत्म होते ही कई मामलों में अध्यादेश लाना केंद्र सरकार की बेचैनी को तो बताता ही है, हम सबसे इस बात की मांग भी करता है कि हम जानें कि हमारी सरकार किन सवालों पर इतना बेचैन होकर काम कर रही है। हमने देखा है कि देश भर में धर्म के नाम पर संघ परिवार से जुड़े लोगों और संगठनों ने जिस तरह से हंगामा मचाना शुरूकिया...
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सरकारी ढर्रे को बदलने का सवाल - नंटू बनर्जी
आगामी 25 दिसंबर को मोदी सरकार ने 'सुशासन दिवस" के रूप में मनाने का निर्णय लिया है। सुशासन या गुड गवर्नेंस लंबे समय से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बुनियादी एजेंडे में शामिल रहा है। पर सवाल उठता है कि प्रशासनिक ढांचे व सुशासन के आपसी रिश्तों से हम क्या समझें। कारोबारी समूहों में ऐसा होता है कि गिने-चुने लोगों का प्रबंधन चंद लोगों के कार्यसमूह के साथ भी अपनी सुदक्षता...
More »कंपनी बड़ी या देश-- अरविन्द कुमार सेन
नोबेल पुरस्कार विजेता पॉल क्रुगमैन ने दो दशक पहले शोध पत्रिका हॉवर्ड बिजनेस रिव्यू में ‘देश एक कंपनी नहीं है' शीर्षक से शोध-पत्र लिखा था। यह शोध-पत्र उस दौर में प्रकाशित हुआ था, जब भुगतान संतुलन की बीमारी से दो-चार हो रही भारत जैसी विकासशील अर्थव्यवस्थाओं पर विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मौद्रिक संगठन की अगुआई में नवउदारवादी नीतियां थोपी जा रही थीं। हर तरफ आर्थिक सुधारों की मार्फत अर्थव्यवस्था को...
More »स्मार्ट सिटी और स्वतंत्रता- डा. भरत झुनझुनवाला
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 100 स्मार्ट सिटी स्थापित करने का संकल्प आगे बढ़ता दिख रहा है. वाराणसी का विकास जापान के क्योटो शहर की तर्ज पर करने के लिए जापान ने सहायता करना स्वीकार कर लिया है. तेलंगाना सरकार ने हैदराबाद को दुबई की मदद से स्मार्ट सिटी बनाने को एक शिष्टमंडल दुबई भेजा है. देश के राज्यों में स्मार्ट सिटी बनाने की होड़ सी लगी हुई है. यह एक...
More »नौकरशाहों से मुक्त हो नया आयोग- भरत झुनझुनवाला
प्रभात खबर(लेख)नये योजना आयोग में ऐसे लोगों की नियुक्ति हो, जिनकी पहचान स्वतंत्र हो, ताकि सरकार का दखल न हो. ऐसे स्वतंत्र आयोग की देश को नितांत जरूरत है. सरकारी नौकरों के एक और समूह को योजना आयोग का जामा पहनाने से काम नहीं चलेगा. हाल में संपन्न हुए मुख्यमंत्रियों के सम्मेलन में सहमति बनी कि योजना आयोग द्वारा राज्यों के वार्षिक प्लान को स्वीकार करने की व्यवस्था को समाप्त कर...
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