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मुद्दा: गरीब की नई परिभाषा

गरीबी: सभ्य समाज के इस सबसे बड़े अभिशाप को राष्ट्रपिता गांधी जी ने हिंसा का सबसे खराब रूप कहा। करेला उस पर नीम चढ़ा कि स्थिति यह कि गरीबों को 'गरीब' न मानना। हमारे हुक्मरानों ने गरीबों की नई परिभाषा गढ़ी है। अगर आप शहर में रहकर 32 रुपये और गांव में रहकर 26 रुपये प्रतिदिन से अधिक खर्च कर रहे हैं तो आप गरीब नहीं है। खुद को गरीब मानते...

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दाल-भात केंद्रों पर अब मिलेगी जलेबी-कचौड़ी

- रात में भी खाना बेचने की मिली अनुमति, केवल दिन का भोजन ही सरकारी दर पर - धनबाद : मुख्यमंत्री दाल-भात योजना के तहत पांच रुपये में दिन का खाना खिला रहे केंद्रों पर अब नाश्ता एवं रात का भोजन भी बिकेगा. लेकिन सरकारी नहीं, बाजार दर पर. जानकारी के अनुसार दाल-भात केंद्र संचालकों द्वारा पांच रुपये में भोजन कराने में असमर्थता जताने के बाद राज्य सरकार ने वहां नाश्ता एवं...

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बीमार व्यवस्था में पिसते गरीब-- सुभाष चंद्र कुशवाहा

आज शिक्षा और स्वास्थ्य के व्यावसायीकरण के चलते गरीबों का जीना दूभर होता जा रहा है। आए दिन महंगी शिक्षा का खर्च वहन न कर पाने के कारण गरीब छात्र व्यावसायिक शिक्षा से वंचित हो रहे हैं और हताशा में खुदकुशी कर रहे हैं। इसी तरह अस्पतालों का खर्च न उठा पाने के चलते गरीब असमय मरने को मजबूर हो रहे हैं। दुखद है कि आम लोगों को शिक्षा और...

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सुनो, मध्य वर्ग की आहट -शशि भूषण

अन्ना हजारे, सिविल सोसाइटी, सरकार और सर्वोपरि संसद समाजशास्त्री व अर्थशास्त्री जो लोग इन बड़े समाचारों के बीच उनके भीतरी आशय जानना चाहते हैं, उनके के लिए ये सब बहस के मुद्दे हो सकते हैं, किंतु आम लोग, लोकपाल या जन लोकपाल में कुछ फर्क भी है, यह जानने की जरूरत नहीं समझते. उन्हें बस इतना पता चल गया है कि एक पर एक मंत्री एक से आला भ्रष्टाचार के नये कीर्तिमान...

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दाल-भात केन्द्रों में मिलेगी चना व सोयाबिन की सब्जी

गिरिडीह, जागरण कार्यालय : राज्य में संचालित दाल-भात केन्द्रों में गरीबों को अब चना और सोयाबिन की सब्जी मिलेगी। राज्य सरकार इस दिशा में पहल कर रही है। सोमवार को केन्द्र संचालकों के साथ हुई बैठक में खाद्य आपूर्ति मंत्री मथुरा महतो ने ये बातें कहीं। नये परिसदन में हुई बैठक में मंत्री ने दाल-भात केन्द्रों के कामकाज की समीक्षा की एवं संचालकों को हो रही परेशानियों के बारे में पूछा। संचालकों ने...

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