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सोलहवीं लोकसभा का कामकाज-- अंकिता नंदा

साल 2019 के बजट सत्र के समापन के साथ 16वीं लोकसभा का अवसान हो गया. पिछले पांच वर्षों के दौरान 133 विधेयक पारित हुए- खास तौर से वित्त, स्वास्थ्य, कानून और न्याय, शिक्षा से जुड़े. पिछली दो लोकसभाओं- 14वीं और 15वीं- की तुलना में 16वीं लोकसभा में निचले सदन में एक राजनीतिक दल का बहुमत था. इस लोकसभा ने कई पैमानों पर बेहतर प्रदर्शन किया. हालांकि, 15वीं लोकसभा के मुकाबले...

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क्या कोका-कोला भारत की सार्वजनिक स्वास्थ्य नीतियों को प्रभावित कर रहा है?

‘कोका-कोला कंपनी ने एक गैर-लाभकारी समूह के माध्यम से मोटापे पर चीन की सार्वजनिक स्वास्थ्य नीतियों को नजरअंदाज कर दिया है. यह गैर-लाभकारी समूह पोषण पर काम करने वाले वैज्ञानिकों के साथ मिलकर सरकार की नीति को कंपनी के कॉर्पोरेट हितों के पक्ष में प्रभावित करने का काम करती है.' ऐसा कहना है हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर सुज़न ग्रीनहाल्ग का और ये चौंकाने वाले तथ्य पिछले महीने ब्रिटिश मेडिकल जर्नल और...

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खेती फायदेमंद तभी किसान खुशहाल-- मोंटेक सिंह अहलूवालिया

खेती-किसानी की बदहाली की खबरें इधर काफी सुर्खियों में रही हैं। अटकलें लगाई जा रही थीं कि अंतरिम बजट में आय हस्तांतरण से जुड़ी कुछ योजनाएं घोषित की जाएंगी। ऐसा हुआ भी। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के तहत सरकार ने किसानों को सालाना आय देने की घोषणा की है। मगर कृषि संकट से पार पाने के लिए हमारे राजनीतिक दलों को छह बातों पर गंभीरता से ध्यान देने की जरूरत...

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राजनीतिक एजेंडे में पर्यावरण क्यों नहीं-- नवरोज के दुबाश

भारत में पर्यावरण की हालत काफी भयावह है। इससे जुड़े आंकडे़ परेशान करने वाले हैं। मसलन, देश की हर पांच में से तीन नदियां प्रदूषित हैं। ज्यादातर ठोस कचरों का निस्तारण नहीं किया जाता; यहां तक कि देश के समृद्ध हिस्सों में भी नहीं। मुंबई में 90 फीसदी, तो दिल्ली में 48 फीसदी कचरों का निस्तारण नहीं हो पाता। फिर, देश की तीन-चौथाई आबादी उन हिस्सों में बसती है, जहां...

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क्या मोदी सरकार का आख़िरी बजट वास्तव में भारत की तरक्की की कहानी बयां करता है?- सचिन कुमार जैन

क़र्ज़दार सरकारें देश की आज़ादी को सुरक्षित नहीं रख सकती हैं, क्योंकि तब क़र्ज़ देने वाला नीतियों पर नियंत्रण रखता है. माध्यम वर्ग को आयकर में थोड़ी छूट और मिली, 12 करोड़ किसानों को हर रोज़ 16.50 रुपये मिलेंगे, क्योंकि वे पिछले दिनों कमर कस के बाहर निकल आए थे. 2030 तक नदियों को साफ़ करने का वायदा, 2030 में सबको पीनी का साफ़ पानी मिलने का सुखद स्वप्न; बहुत लोगों...

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