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नोबेल शांति पुरस्कार का पैगाम - सत्‍येंद्र रंजन

भारत के कैलाश सत्यार्थी और पाकिस्तान की मलाला यूसुफजई के संयुक्त रूप से नोबल शांति पुरस्कार से सम्मानित होने पर बेशक दोनों देशों के वंचित समूहों के बच्चों और उनके अधिकारों पर नए सिरे से रोशनी पड़ेगी। सत्यार्थी के 'बचपन बचाओ आंदोलन" ने इस कड़वी हकीकत से देश को परिचित कराए रखा है कि बंधुआ मजदूरी को अपराध बनाने, बाल मजदूरी को गैरकानूनी ठहराने और प्राथमिक शिक्षा को मूल अधिकार...

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जानिए कैसे काम करती है कैलाश सत्यार्थी की संस्था 'बचपन बचाओ आंदोलन'

बचपन बचाओ आंदोलन ' (बीबीए) नामक एनजीओ चलाने वाले कैलाश सत्यार्थी को शांति का नोबेल पुरस्कार मिलने के बाद जरूरी हो जाता है कि सिर्फ पुरस्कार की ही चर्चा ना की जाए बल्कि उनके संघर्ष और कामों पर भी चर्चा की जाए. 1954 में जन्मे सत्यार्थी से जब पूछा गया कि आपको यह पुरस्कार मिलने के बाद कैसा लग रहा है तो उनका सीधा सा जबाव था जैसा आप लोगों को...

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'बाल-मजदूरी के खात्मे तक करूंगा संघर्ष'- कैलाश सत्यार्थी

नई दिल्‍ली। शुक्रवार दोपहर करीब दो बजे 'बचपन बचाओ आंदोलन' के संस्‍थापक कैलाश सत्‍यार्थी को वर्ष 2014 का शांति के लिए नोबेल पुरस्‍कार मिलने की उनके स्‍टाफ ने जानकारी दी, तो पहले उन्‍हें विश्‍वास ही नहीं हुआ। फिर अचानक उनके मुंह से निकला, ‘नोबेल पुरस्‍कार'। ये वो पल थे, जब उनकी अांखें पहली बार नम देखी गईं। इससे पहले उनके स्‍टाफ या परिवार के लोगों ने उन्‍हें इतना भावुक नहीं...

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बूढ़े-माता पिता को गुजारा भत्ता पाने के लिए देने होंगे पांच रुपये

रांची : बूढ़े-माता पिता को बच्चों से गुजारा भत्ते का दावा करने के लिए बतौर फीस पांच रुपये चुकाने होंगे. साथ ही पुलिस को अपने-अपने इलाके में रहनेवाले बुजुर्ग लोगों की सूची बनानी होगी. उसकी सुरक्षा का ख्याल रखना होगा. राज्य सरकार ने माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों के भरण पोषण तथा कल्याण नियमावली में यह प्रावधान किया है. सरकार की तैयार नियमावली के अनुसार बूढ़े माता-पिता की देखभाल की स्थिति में...

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यहां मोमबत्ती की रोशनी में होती है डिलीवरी, दो कंधों पर पहुंचते हैं अस्पताल - आनंद चौधरी/हितेन्द्??

जयपुर. राज्य के प्रसव केंद्रों में घुसते ही जिंदगी थर-थराने लगती है। अव्यवस्थाएं ऐसी हैं कि न मां सुरक्षित है न शिशु। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी)के लेबर रूम में इतनी भीड़ है कि प्रसव के लिए दिनों व घंटों का इंतजार है। कारण, 475 में से 380 सीएचसी और 2000 से ज्यादा पीएचसी एक ही लेबर टेबल के भरोसे हैं। यहां पीड़ा से बिलखती प्रसूता को...

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