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सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रम बाल-कुपोषण मिटाने के लिए जरुरी - सेव द चिल्डेन की नई रिपोर्ट

एक ऐसे समय में जब अर्थजगत में बुद्धिमानी का पर्याय यह बन चला है कि अर्थसत्ता के खेल के लिए मैदान खुला छोड़ दिया जाय और सामाजिक-क्षेत्र पर होने वाले खर्चों में कटौती की जाय, एक रिपोर्ट का कहना है कि भुखमरी और खासतौर से बाल-कुपोषण मिटाने की दिशा में प्रयास करना अपने आप में बुद्धिमानी का काम है। रिपोर्ट में यूपीए सरकार की प्राथमिकताओं में शुमार किए जाने वाले...

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दलितों का दर्द- श्योराजसिंह बेचैन

उत्तर प्रदेश में दलित उत्पीड़न की घटनाएं चर्चा का विषय हैं। बहन मायावती के मुख्यमंत्री काल में इन घटनाओं का होना ज्यादा चिंताजनक है। राहुल गांधी का कहना है कि कांग्रेस के सत्ता में आने पर दलित समस्या का समाधान हो जाएगा। सपा और भाजपा भी दलित समुदाय की बेहतरी के लिए अपनी-अपनी पार्टी का सत्ता में आना जरूरी बता रहे हैं। पर जनता क्या करे? इनमें से कौन-सी पार्टी...

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रेणु के गांव में आज भी जिंदा हैं ‘मैला आँचल’ के पात्र- संजीव चंदन की रिपोर्ट(तहलका)

पूर्णिया में प्रगतिशील लेखक संघ के राज्य अधिवेशन में शिरकत करने के दौरान रेणु जी के गाँव जाना संभव हुआ. औराही हिंगना  को, रानी गंज के इलाके  ( मैला आँचल में मेरीगंज ) को, जहाँ फणीश्वर नाथ रेणु का पुश्तैनी घर है, जो मैला आँचल और परती-परिकथा सहित उनकी कई कहानियों की आधारभूमि है,  जहां पंचलैट के टोले हैं, जहाँ तीसरी कसम  के जीवंत पात्र और कसबाई तथा ग्रामीण समाज ...

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गरीब परिवारों की 33 हजार बेटिया की बसी गृहस्थी

रायपुर। छत्तीसगढ़ में पिछले सात साल में मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत करीब 33 हजार बेटियो की शादी की गई है। आधिकारिक सूत्रों ने बुधवार को यहा बताया कि महिला व बाल विकास विभाग द्वारा छत्तीसगढ़ में संचालित मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत अब तक करीब 33 हजार बेटिया विवाह के बंधन में बंध चुकी हैं। इन बेटियों का विवाह महिला और बाल विकास विभाग व समाज सेवी संस्थाओं...

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राहत शिविर या शामत शिविर!- राजकुमार सोनी(तहलका)

वे गांव लौटे तो नक्सलवादियों का निशाना बन जाएंगे और यदि राहत शिविरों में रहते हैं तो उन्हें अमानवीय परिस्थितियों के बीच ही बाकी जिंदगी गुजारनी पड़ेगी. सलवा जुडूम अभियान के दौरान बस्तर के राहत शिविरों में रहने आए हजारों ग्रामीण आदिवासी आज त्रिशंकु जैसी स्थिति में फंसे हैं. राजकुमार सोनी की रिपोर्ट कोतरापाल गांव की प्रमिला कभी 15 एकड़ खेत की मालकिन थी, लेकिन गत छह साल से वह अपने...

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